धूल Poetry (page 33)

दिल की राहों से दबे पाँव गुज़रने वाला

इंद्र मोहन मेहता कैफ़

पुकारते थे मुझे आसमाँ मगर मैं ने

इनाम नदीम

ज़मीं बिछाई यहाँ आसमाँ बुलंद किया

इनाम नदीम

जुदा हो कर समुंदर से किनारा क्या बनेगा

इनआम आज़मी

तिरी फ़ुज़ूल बंदगी बना न दे ख़ुदा मुझे

इम्तियाज़ अहमद

ठहर के देख तू इस ख़ाक से क्या क्या निकल आया

इमरान शमशाद

ज़ख़्म अब तक वही सीने में लिए फिरता हूँ

इमरान आमी

परिंदा आइने से क्या लड़ेगा

इमरान आमी

आख़िर इक दिन सब को मरना होता है

इमरान आमी

तेरी जानिब से मुझ पे क्या न हुआ

इम्दाद इमाम असर

क़द्र-दाँ कोई न असफ़ल है न आ'ला अपना

इमदाद अली बहर

जड़ाव चूड़ियों के हाथों में फबन क्या ख़ूब

इमदाद अली बहर

इफ़्शा हुए असरार-ए-जुनूँ जामा-दरी से

इमदाद अली बहर

हम नाक़िसों के दौर में कामिल हुए तो क्या

इमदाद अली बहर

गया सब अंदोह अपने दिल का थमे अब आँसू क़रार आया

इमदाद अली बहर

बशर रोज़-ए-अज़ल से शेफ़्ता है शान-ओ-शौकत का

इमदाद अली बहर

आहों से होंगे गुम्बद-ए-हफ़्त-आसमाँ ख़राब

इमदाद अली बहर

आबला ख़ार-ए-सर-ए-मिज़्गाँ ने फोड़ा साँप का

इमदाद अली बहर

ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाम

इमाम बख़्श नासिख़

हो गए दफ़्न हज़ारों ही गुल-अंदाज़ इस में

इमाम बख़्श नासिख़

जान हम तुझ पे दिया करते हैं

इमाम बख़्श नासिख़

'इश्क़ी'-साहिब लिखना है तो कोई नई तहरीर लिखो

इलियास इश्क़ी

ज़ीस्त-मिज़ाजों का नौहा

इलियास बाबर आवान

ग़ैर-निसाबी तारीख़

इलियास बाबर आवान

सिर्फ़ आज़ार उठाने से कहाँ बनता है

इलियास बाबर आवान

हमारा आइना बे-कार हो गया तो फिर!

इलियास बाबर आवान

वो कहते हैं कि आँखों में मिरी तस्वीर किस की है

इफ़्तिख़ार राग़िब

साएबान

इफ़्तेख़ार जालिब

ये वक़्त किस की रऊनत पे ख़ाक डाल गया

इफ़्तिख़ार आरिफ़

खज़ाना-ए-ज़र-ओ-गौहर पे ख़ाक डाल के रख

इफ़्तिख़ार आरिफ़

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