खाली Poetry (page 14)

बज़्म-ए-तकल्लुफ़ात सजाने में रह गया

हफ़ीज़ मेरठी

मेरी शाएरी

हफ़ीज़ जालंधरी

अब ख़ूब हँसेगा दीवाना

हफ़ीज़ जालंधरी

तू है बहार तो दामन मिरा हो क्यूँ ख़ाली

हादी मछलीशहरी

ज़बाँ पे हर्फ़-ए-शिकायत अरे मआज़-अल्लाह

हादी मछलीशहरी

फ़रियाद भी मैं कर न सका बे-ख़बरी से

हबीब मूसवी

उस का चेहरा भी चमक में न मिसाली निकला

गुलज़ार बुख़ारी

समय

गुलज़ार

किनारे पर कोई आया था

गुलज़ार

खंडर

गुलज़ार

हिरासत

गुलज़ार

एक और रात

गुलज़ार

उठो गले से लिपट जाओ फिर निखर लेना

गुलशनुद्दौला बहार

रात हर बार लिए

गुलनाज़ कौसर

बम धमाका

गुलनाज़ कौसर

शजर-ए-उम्मीद भी जल गया वो वफ़ा की शाख़ भी जल गई

गुलनार आफ़रीन

महज़ूँ न हो 'हुज़ूर' अब आता है यार अपना

ग़ुलाम यहया हुज़ूर अज़ीमाबादी

पुरखों से चली आती है ये नक़्ल-ए-मकानी

ग़ुलाम मुर्तज़ा राही

मौजूदगी का उस की असर होने लगा है

ग़ुलाम मुर्तज़ा राही

आया है इक राह-नुमा के इस्तिक़बाल को इक बच्चा

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

समीता-पाटिल

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

हिज्र के तपते मौसम में भी दिल उन से वाबस्ता है

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

आज आईने में जो कुछ भी नज़र आता है

ग़ुलाम हुसैन साजिद

ज़ीस्त का ख़ाली कटोरा आप ही भर जाएगा

ग़ुलाम हुसैन अयाज़

अभी आइना मुज़्महिल है

ग़ुफ़रान अमजद

कल तक जो शफ़्फ़ाफ़ थे चेहरे आवाज़ों से ख़ाली थे

ग़ज़नफ़र

तारीकी में नूर का मंज़र सूरज में शब देखोगे

ग़ज़नफ़र

तग़ाफ़ुल-दोस्त हूँ मेरा दिमाग़-ए-अज्ज़ आली है

ग़ालिब

शबनम ब-गुल-ए-लाला न ख़ाली ज़-अदा है

ग़ालिब

सफ़ा-ए-हैरत-ए-आईना है सामान-ए-ज़ंग आख़िर

ग़ालिब

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