खाली Poetry (page 16)

काम उन आँखों की हवसनाकी की साज़िश आ गई

फ़रहत एहसास

इश्क़ भी करना है हम को और ज़िंदा भी रहना है

फ़रहत एहसास

गर अपने आप में इंसान बढ़ता जा रहा है

फ़रहत एहसास

दबा पड़ा है कहीं दश्त में ख़ज़ाना मिरा

फ़रहत एहसास

चाकरी में रह के इस दुनिया की मोहमल हो गए थे

फ़रहत एहसास

अजीब तजरबा आँखों को होने वाला था

फ़रहत एहसास

लबों के सामने ख़ाली गिलास रखते हैं

फ़राग़ रोहवी

रह जाए या बला से ये जान रह न जाए

फ़ानी बदायुनी

गुल तो गुल ख़ार तक चुन लिए हैं

फ़ना निज़ामी कानपुरी

कोई समझेगा क्या राज़-ए-गुलशन

फ़ना निज़ामी कानपुरी

शीशों का मसीहा कोई नहीं

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

मेजर-इसहाक़ की याद में

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

ऐ हबीब-ए-अम्बर-दस्त!

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

शरह-ए-फ़िराक़ मदह-ए-लब-ए-मुश्कबू करें

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

सहारे जाने-पहचाने बना लूँ

फ़हमी बदायूनी

नमक की रोज़ मालिश कर रहे हैं

फ़हमी बदायूनी

रुस्वा भी हुए जाम पटकना भी न आया

एज़ाज़ अफ़ज़ल

हम ने मयख़ाने की तक़्दीस बचा ली होती

एज़ाज़ अफ़ज़ल

ऐ नक़्श-गरो लौह-ए-तहरीर हमें दे दो

एज़ाज़ अफ़ज़ल

मंज़र-ए-वक़्त की यकसानी में बैठा हुआ हूँ

एजाज़ गुल

गया था बज़्म-ए-मोहब्बत में ख़ाली जाम लिए

एहतिशाम हुसैन

मैं जब मैदान ख़ाली कर के आया

दिलावर अली आज़र

हवा ने इस्म कुछ ऐसा पढ़ा था

दिलावर अली आज़र

प्यास

दीप्ति मिश्रा

मैं ने अपना हक़ माँगा था वो नाहक़ ही रूठ गया

दीप्ति मिश्रा

उस शकर-लब का मैं ख़याली हूँ

दाऊद औरंगाबादी

इश्क़ ने तुझ ख़ाल के मुझ कूँ ख़याली किया

दाऊद औरंगाबादी

सूरत-ए-हाल अब तो वो नक़्श-ए-ख़याली हो गया

दत्तात्रिया कैफ़ी

कोई दिल-लगी दिल लगाना नहीं है

दत्तात्रिया कैफ़ी

इश्क़ ही इश्क़ हो आशिक़ हो न माशूक़ जहाँ

दत्तात्रिया कैफ़ी

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