सपना Poetry (page 49)

शफ़क़ के रंग निकलने के बाद आई है

इन्दिरा वर्मा

मुझे रंग दे न सुरूर दे मिरे दिल में ख़ुद को उतार दे

इन्दिरा वर्मा

कभी मुड़ के फिर इसी राह पर न तो आए तुम न तो आए हम

इन्दिरा वर्मा

हज़ार ख़्वाब लिए जी रही हैं सब आँखें

इन्दिरा वर्मा

इंकिशाफ़

इनाम-उल-हक़ जावेद

लिक्खेंगे न इस हार के अस्बाब कहाँ तक

इनाम-उल-हक़ जावेद

ख़ामोश खड़ा हूँ मैं दर-ए-ख़्वाब से बाहर

इनाम नदीम

हम ठहरे रहेंगे किसी ताबीर को थामे

इनाम नदीम

ज़मीं बिछाई यहाँ आसमाँ बुलंद किया

इनाम नदीम

ये मंज़र बे-दर-ओ-दीवार होता

इनाम नदीम

पड़ता था इस ख़याल का साया यहीं कहीं

इनाम नदीम

कोई बाग़ सा सजा हुआ मिरे सामने

इनाम नदीम

ख़ुद अपने उजाले से ओझल रहा है दिया जल रहा है

इनाम नदीम

जिस रोज़ तिरे हिज्र से फ़ुर्सत में रहूँगा

इनाम नदीम

हमें तो इंतिज़ारी और ही थी

इनाम नदीम

दिल पर किसी पत्थर का निशाँ यूँ ही रहेगा

इनाम नदीम

उधर जो शख़्स भी आया उसे जवाब हुआ

इनाम कबीर

तसव्वुरात में वो ज़ूम कर रहा था मुझे

इनआम आज़मी

कभी तो चश्म-ए-फ़लक में हया दिखाई दे

इनआम आज़मी

जो चला आता है ख़्वाबों की तरफ़-दारी को

इनआम आज़मी

हैं घर की मुहाफ़िज़ मिरी दहकी हुई आँखें

इम्तियाज़ साग़र

तिरी फ़ुज़ूल बंदगी बना न दे ख़ुदा मुझे

इम्तियाज़ अहमद

ताराज ख़्वाहिशों का मुदावा न हो सका

इम्तियाज़ अहमद

हम न दुनिया के हैं न दीं के हैं

इमरान-उल-हक़ चौहान

सितारे सब मिरे महताब मेरे

इमरान शनावर

पहली सिगरेट पहला ख़्वाब और पहला इश्क़

इमरान शमशाद

सूदी बेगम

इमरान शमशाद

ख़ुदा तू इतनी भी महरूमियाँ न तारी रख

इमरान हुसैन आज़ाद

आसमाँ मिल न सका धरती पे आया न गया

इमरान हुसैन आज़ाद

परिंदा आइने से क्या लड़ेगा

इमरान आमी

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