सपना Poetry (page 51)

रौशनी की डोर थामे ज़िंदगी तक आ गए

इफ़्तिख़ार फलक काज़मी

दश्त-ए-बे-सम्त में रुकना भी सफ़र ऐसा था

इफ़्तिख़ार बुख़ारी

वही है ख़्वाब जिसे मिल के सब ने देखा था

इफ़्तिख़ार आरिफ़

मैं अपने ख़्वाब से कट कर जियूँ तो मेरा ख़ुदा

इफ़्तिख़ार आरिफ़

इक ख़्वाब ही तो था जो फ़रामोश हो गया

इफ़्तिख़ार आरिफ़

दिल कभी ख़्वाब के पीछे कभी दुनिया की तरफ़

इफ़्तिख़ार आरिफ़

बेटियाँ बाप की आँखों में छुपे ख़्वाब को पहचानती हैं

इफ़्तिख़ार आरिफ़

बस एक ख़्वाब की सूरत कहीं है घर मेरा

इफ़्तिख़ार आरिफ़

रौशन दिल वालों के नाम

इफ़्तिख़ार आरिफ़

पस च-बायद-कर्द

इफ़्तिख़ार आरिफ़

मोहब्बत की एक नज़्म

इफ़्तिख़ार आरिफ़

मिरा ज़ेहन मुझ को रहा करे

इफ़्तिख़ार आरिफ़

कुछ देर पहले नींद से

इफ़्तिख़ार आरिफ़

कूच

इफ़्तिख़ार आरिफ़

एक ख़्वाब की दूरी पर

इफ़्तिख़ार आरिफ़

एक कहानी बहुत पुरानी

इफ़्तिख़ार आरिफ़

चक-फेरी

इफ़्तिख़ार आरिफ़

बन-बास

इफ़्तिख़ार आरिफ़

बैलन्स-शीट

इफ़्तिख़ार आरिफ़

बदन-दरीदा रूहों के नाम एक नज़्म

इफ़्तिख़ार आरिफ़

ज़रा सी देर को आए थे ख़्वाब आँखों में

इफ़्तिख़ार आरिफ़

ये बस्तियाँ हैं कि मक़्तल दुआ किए जाएँ

इफ़्तिख़ार आरिफ़

वफ़ा की ख़ैर मनाता हूँ बेवफ़ाई में भी

इफ़्तिख़ार आरिफ़

उमीद-ओ-बीम के मेहवर से हट के देखते हैं

इफ़्तिख़ार आरिफ़

थकन तो अगले सफ़र के लिए बहाना था

इफ़्तिख़ार आरिफ़

सर-ए-बाम-ए-हिज्र दिया बुझा तो ख़बर हुई

इफ़्तिख़ार आरिफ़

समुंदर इस क़दर शोरीदा-सर क्यूँ लग रहा है

इफ़्तिख़ार आरिफ़

सब चेहरों पर एक ही रंग और सब आँखों में एक ही ख़्वाब

इफ़्तिख़ार आरिफ़

मिरे ख़ुदा मुझे इतना तो मो'तबर कर दे

इफ़्तिख़ार आरिफ़

कुछ भी नहीं कहीं नहीं ख़्वाब के इख़्तियार में

इफ़्तिख़ार आरिफ़

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