दिल कभी ख़्वाब के पीछे कभी दुनिया की तरफ़
एक ने अज्र दिया एक ने उजरत नहीं दी
Gulzar
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Habib Jalib
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1098) Peoples Rate This
वफ़ा की ख़ैर मनाता हूँ बेवफ़ाई में भी
एक था राजा छोटा सा
ग़म-ए-जहाँ को शर्मसार करने वाले क्या हुए
कहीं कहीं से कुछ मिसरे एक-आध ग़ज़ल कुछ शेर
एक शायर एक नज़्म
अज़ाब-ए-वहशत-ए-जाँ का सिला न माँगे कोई
वो हम नहीं थे तो फिर कौन था सर-ए-बाज़ार
ख़्वाब-ए-देरीना से रुख़्सत का सबब पूछते हैं
दोस्त क्या ख़ुद को भी पुर्सिश की इजाज़त नहीं दी
दुआ को हात उठाते हुए लरज़ता हूँ
एक कहानी बहुत पुरानी