सपना Poetry (page 53)

दिल कोई आईना नहीं टूट के रह गया तो फिर

इदरीस बाबर

देखा नहीं चाँद ने पलट कर

इदरीस बाबर

देख न इस तरह गुज़ार अर्सा-ए-चश्म से मुझे

इदरीस बाबर

अब मसाफ़त में तो आराम नहीं आ सकता

इदरीस बाबर

लबों पर प्यास हो तो आस के बादल भरे रखियो

इब्राहीम अश्क

करें सलाम उसे तो कोई जवाब न दे

इब्राहीम अश्क

दुनिया लुटी तो दूर से तकता ही रह गया

इब्राहीम अश्क

करता हूँ एक ख़्वाब के मुबहम नुक़ूश याद

इब्राहीम होश

कैसा जादू है समझ आता नहीं

इब्न-ए-मुफ़्ती

वो ख़्वाब जैसा था गोया सराब लगता था

इब्न-ए-मुफ़्ती

फिर से वो लौट कर नहीं आया

इब्न-ए-मुफ़्ती

हम से मिलते थे सितारे आप के

इब्न-ए-मुफ़्ती

रात के ख़्वाब सुनाएँ किस को रात के ख़्वाब सुहाने थे

इब्न-ए-इंशा

'इंशा'-जी उठो अब कूच करो इस शहर में जी को लगाना क्या

इब्न-ए-इंशा

किरन किरन के दरख़्शंदा बाब मेरे हैं

हुसैन सहर

वो दिल जो था किसी के ग़म का महरम हो गया रुस्वा

हुरमतुल इकराम

उस के सिवा क्या अपनी दौलत

हुरमतुल इकराम

जैसे कोई ज़िद्दी बच्चा कब बहले बहलाने से

हुमैरा रहमान

इन लफ़्ज़ों में ख़ुद को ढूँडूँगी मैं भी

हुमैरा रहमान

दिल को दरून-ए-ख़्वाब का मौसम बोझल रखता है

हुमैरा रहमान

सुना है ख़्वाब मुकम्मल कभी नहीं होते

हुमैरा राहत

ये कहना था जो दुनिया कह रही है

हुमैरा राहत

वक़्त की आँख से कुछ ख़्वाब नए माँगता है

हुमैरा राहत

मिसाल-ए-ख़ाक कहीं पर बिखर के देखते हैं

हुमैरा राहत

कहानी को मुकम्मल जो करे वो बाब उठा लाई

हुमैरा राहत

हवा के साथ ये कैसा मोआमला हुआ है

हुमैरा राहत

हर एक ख़्वाब की ताबीर थोड़ी होती है

हुमैरा राहत

फ़साना अब कोई अंजाम पाना चाहता है

हुमैरा राहत

आँखों से किसी ख़्वाब को बाहर नहीं देखा

हुमैरा राहत

पहले तो ख़्वाब ज़ेहन में तश्कील हो गया

हीरानंद सोज़

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