खुशबू Poetry (page 15)

तुझ से मैं मुझ से आश्ना तुम हो

रमेश कँवल

इक नशा सा ज़ेहन पर छाने लगा

रमेश कँवल

तेरी महफ़िल में सितारे कोई जुगनू लाया

राम रियाज़

लफ़्ज़ बे-जाँ हैं मिरे रूह-ए-मआनी मुझे दे

राम रियाज़

फिर कोई ख़लिश नज़्द-ए-राग-ए-जाँ तो नहीं है

राम कृष्ण मुज़्तर

सीने में जब दर्द कोई बो जाता है

राम अवतार गुप्ता मुज़्तर

रू-पोश आँख से कोई ख़ुशबू लिबास है

राम अवतार गुप्ता मुज़्तर

न क़ाएल होते हैं न ज़ाइल

राजेन्द्र मनचंदा बानी

लिबास उस का अलामत की तरह था

राजेन्द्र मनचंदा बानी

हमें लपकती हवा पर सवार ले आई

राजेन्द्र मनचंदा बानी

दिलों में ख़ाक सी उड़ती है क्या न जाने क्या

राजेन्द्र मनचंदा बानी

दिल में ख़ुशबू सी उतर जाती है सीने में नूर सा ढल जाता है

राजेन्द्र मनचंदा बानी

तेरे ख़ुशबू में बसे ख़त

राजेन्द्र नाथ रहबर

जैसे फ़साना ख़त्म हुआ

राज नारायण राज़

टूटी हुई दीवार की तक़दीर बना हूँ

राज नारायण राज़

गुज़ारे तुम ने कैसे रोज़-ओ-शब हम से ख़फ़ा हो कर

राज कुमार सूरी नदीम

सच्चाई

रईस फ़रोग़

नए शहरों की बुनियाद

रईस फ़रोग़

शहर का शहर बसा है मुझ में

रईस फ़रोग़

जू-ए-ताज़ा किसी कोहसार-कुहन से आए

रईस फ़रोग़

घर में सहरा है तो सहरा को ख़फ़ा कर देखो

रईस फ़रोग़

अपने ही शब ओ रोज़ में आबाद रहा कर

रईस फ़रोग़

तिरा ख़याल कि ख़्वाबों में जिन से है ख़ुशबू

रईस अमरोहवी

कल रात कई ख़्वाब-ए-परेशाँ नज़र आए

रईस अमरोहवी

दिल से या गुल्सिताँ से आती है

रईस अमरोहवी

रंग लाती भी तो किस तौर जबीं-साई मिरी

राहुल झा

तश्बीब

राही मासूम रज़ा

चाँद और चकोर

राही मासूम रज़ा

जिन से हम छूट गए अब वो जहाँ कैसे हैं

राही मासूम रज़ा

हमें नहीं आते ये कर्तब नए ज़माने वाले

इरफ़ान सत्तार

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