खुशबू Poetry (page 14)

मुझे क़रार भँवर में उसे किनारे में

साबिर

इक तिरी याद से यादों के ख़ज़ाने निकले

सबीहा सबा, पाकिस्तान

जहाँ में जिस की शोहरत कू-ब-कू है

सबीला इनाम सिद्दीक़ी

चक्खोगे अगर प्यास बढ़ा देगा ये पानी

सबा इकराम

तुम ने कैसा ये राब्ता रक्खा

सादुल्लाह शाह

सबा गुलों की हर इक पंखुड़ी सँवारती है

रिन्द साग़री

इन्ही सुब्हों में वो इक सुब्ह-ए-नवा याद करो

रिफ़अत अब्बास

जो सैल-ए-दर्द उठा था वो जान छोड़ गया

रियाज़ मजीद

जागती आँखों का ख़्वाब

रहमान फ़ारिस

सुकूत-ए-शाम में गूँजी सदा उदासी की

रहमान फ़ारिस

ख़्वाब-फ़रोश

रज़ी रज़ीउद्दीन

दिन का मलाल शाम की वहशत कहाँ से लाएँ

राज़ी अख्तर शौक़

दस्तक सी ये क्या थी कोई साया है कि मैं हूँ

राज़ी अख्तर शौक़

है ग़नीमत ये फ़रेब-ए-शब-ए-व'अदा ऐ दिल

रज़ा हमदानी

ख़िरद को गुमशुदा-ए-कू-ब-कू समझते हैं

रविश सिद्दीक़ी

देख उफ़ुक़ के पीले-पन में दूर वो मंज़र डूब गया

रौनक़ रज़ा

आज़ार-ए-दिल से रंग-ए-तबीअ'त बदल गया

रऊफ़ यासीन जलाली

ख़िज़ाँ की बात न ज़िक्र-ए-बहार करते हैं

रशक खलीली

हवा के लम्स से भड़का भी हूँ मैं

राशिद मुफ़्ती

अम्मी की याद में

राशिद जमाल फ़ारूक़ी

मिरी शनाख़्त के हर नक़्श को मिटाता है

रशीदुज़्ज़फ़र

सहरा सहरा बात चली है नगरी नगरी चर्चा है

रशीद क़ैसरानी

मैं ने काग़ज़ पे सजाए हैं जो ताबूत न खोल

रशीद क़ैसरानी

दम-भर की ख़ुशी बाइस-ए-आज़ार भी होगी

रशीद क़ैसरानी

दम भर की ख़ुशी बाइस-ए-आज़ार भी होगी

रशीद क़ैसरानी

अपनी तरह मुझे भी ज़माने में आम कर

रशीद क़ैसरानी

दिल की इमारत झूटे जज़्बों पर ता'मीर नहीं करना

रशीद अयाँ

बारिश नहीं लाती कभी अफ़्लाक से ख़ुशबू

रऊफ़ अमीर

कभी ग़ुंचा कभी शोला कभी शबनम की तरह

राना सहरी

मुझ में ख़ुश्बू बसी उसी की है

रम्ज़ी असीम

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