खुशबू Poetry (page 16)

चुप है आग़ाज़ में, फिर शोर-ए-अजल पड़ता है

इरफ़ान सत्तार

अब तिरे लम्स को याद करने का इक सिलसिला और दीवाना-पन रह गया

इरफ़ान सत्तार

रुख़-ए-रौशन का रौशन एक पहलू भी नहीं निकला

इक़बाल साजिद

पता कैसे चले दुनिया को क़स्र-ए-दिल के जलने का

इक़बाल साजिद

ख़त्म रातों-रात उस गुल की कहानी हो गई

इक़बाल साजिद

हर कसी को कब भला यूँ मुस्तरद करता हूँ मैं

इक़बाल साजिद

हर मोड़ नई इक उलझन है क़दमों का सँभलना मुश्किल है

इक़बाल सफ़ी पूरी

ये ज़मीं हम को मिली बहते हुए पानी के साथ

इक़बाल नवेद

गुल की ख़ुश्बू की तरह आँख के आँसू की तरह

इक़बाल माहिर

जिस में न कोई रंग न आहंग न ख़ुशबू

इक़बाल अज़ीम

ऐ अहल-ए-वफ़ा दाद-ए-जफ़ा क्यूँ नहीं देते

इक़बाल अज़ीम

तेरी बातों को छुपाना नहीं आता मुझ से

इक़बाल अशहर

तुम्हारी ख़ुश्बू थी हम-सफ़र तो हमारा लहजा ही दूसरा था

इक़बाल अशहर

प्यास दरिया की निगाहों से छुपा रक्खी है

इक़बाल अशहर

ख़ुदा ने लाज रखी मेरी बे-नवाई की

इक़बाल अशहर

कहीं शबनम कहीं ख़ुशबू कहीं ताज़ा कली रखना

इन्तिज़ार ग़ाज़ीपुरी

शोर से बच कर सहमा सहमा बैठा है चुप-चाप

इंतिख़ाब सय्यद

मियाँ चश्म-ए-जादू पे इतना घमंड

इंशा अल्लाह ख़ान

अन-देखी ज़मीं पर

इंजिला हमेश

आँख ने धोका खाया था या साया था

इनाम नदीम

रंग हो रौशनी हो या ख़ुशबू

इमरान-उल-हक़ चौहान

हम न दुनिया के हैं न दीं के हैं

इमरान-उल-हक़ चौहान

काला

इमरान शमशाद

रफ़्ता रफ़्ता सब कुछ अच्छा हो जाएगा

इमरान शमशाद

हमारी मोहब्बत नुमू से निकल कर कली बन गई थी मगर थी नुमू में

इमरान शमशाद

इस लिए सब से अलग है मिरी ख़ुशबू 'आमी'

इमरान आमी

ज़ख़्म अब तक वही सीने में लिए फिरता हूँ

इमरान आमी

इस दश्त से आगे भी कोई दश्त-ए-गुमाँ है

इमरान आमी

वक़्त-ए-आख़िर हमें दीदार दिखाया न गया

इमदाद अली बहर

तेरी ख़ुशबू से मोअत्तर है ज़माना सारा

इमाम अाज़म

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