खुशबू Poetry (page 17)

राखी बंधन

इमाम अाज़म

जो मज़े आज तिरे ग़म के अज़ाबों में मिले

इमाम अाज़म

इंकार ही कर दीजिए इक़रार नहीं तो

इफ़्तिख़ार राग़िब

हम से अपने गाँव की मिट्टी के घर छीने गए

इफ़्तिख़ार क़ैसर

इस क़दर भी तो न जज़्बात पे क़ाबू रक्खो

इफ़्तिख़ार नसीम

धुँद

इफ़्तेख़ार जालिब

सौग़ात

इफ़्तिख़ार आरिफ़

पुराने दुश्मन

इफ़्तिख़ार आरिफ़

हवाएँ अन-पढ़ हैं

इफ़्तिख़ार आरिफ़

बदन-दरीदा रूहों के नाम एक नज़्म

इफ़्तिख़ार आरिफ़

थकन तो अगले सफ़र के लिए बहाना था

इफ़्तिख़ार आरिफ़

हुस्न यूँ इश्क़ से नाराज़ है अब

इफ़्तिख़ार आज़मी

तसव्वुर

इफ़्तिख़ार आज़मी

दर्द अब दिल की दवा हो जैसे

इफ़्तिख़ार आज़मी

मोहब्बतों में जो मिट मिट के शाहकार हुआ

इब्राहीम अश्क

ये कौन आया

इब्न-ए-इंशा

पिछले-पहर के सन्नाटे में

इब्न-ए-इंशा

क्या धोका देने आओगी

इब्न-ए-इंशा

कातिक का चाँद

इब्न-ए-इंशा

कल हम ने सपना देखा है

इब्न-ए-इंशा

शाम छत पर उतर गई होगी

हुसैन माजिद

धूल-भरी आँधी में सब को चेहरा रौशन रखना है

हुसैन माजिद

ज़ौक़-ए-तकल्लुम पर उर्दू ने राह अनोखी खोली है

हुरमतुल इकराम

कभी आहें कभी नाले कभी आँसू निकले

होश तिर्मिज़ी

मिरे शाने पे रहने दो अभी गेसू ज़रा ठहरो

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

साथ में अग़्यार के मैं भी सफ़-ए-मक़्तल में हूँ

हातिम अली मेहर

ठहरे पानी को वही रेत पुरानी दे दे

हसन रिज़वी

मैं ने उस को बर्फ़ दिनों में देखा था

हसन रिज़वी

कोई मौसम भी हम को रास नहीं

हसन रिज़वी

कभी आबाद करता है कभी बरबाद करता है

हसन रिज़वी

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