कल रात कई ख़्वाब-ए-परेशाँ नज़र आए

कल रात कई ख़्वाब-ए-परेशाँ नज़र आए

जो शहर कि आबाद थे वीराँ नज़र आए

बिखरी हुई रौंदी हुई लाशों से गुज़र कर

टूटे हुए मीनार-ए-शहीदाँ नज़र आए

कोहसार-ए-हिमाला की झलक ख़्वाब में देखी

गंगा में उबलते हुए तूफ़ाँ नज़र आए

पहले तो किसी क़र्या-ए-बर्बाद में ठहरे

आगे जो बढ़े गोर-ए-ग़रीबाँ नज़र आए

महकी हुई अज्दाद की ख़ुशबू से हवाएँ

हर-गाम पे आसार-ए-अज़ीज़ाँ नज़र आए

जिस घर में फ़रिश्तों की ज़िया थी उसी घर में

अर्वाह-ए-ख़बीसा के चराग़ाँ नज़र आए

जो मतला-ए-तक़्दीस-ए-मोहब्बत थे वो चेहरे

ख़फ़गी के सबब हम से गुरेज़ाँ नज़र आए

हम जिन को दग़ा दे के कहीं भाग गए थे

वो अहल-ए-हरम बा-सर-ए-उर्यां नज़र आए

इक पीर-ए-मुक़द्दस का हयूला नज़र आया

फिर रीश-ए-सफ़ेद-ओ-दुर-ए-दंदाँ नज़र आए

हम जिन की परेशानी-ए-ख़ातिर का सबब थे

वो आलम-ए-रूया में परेशाँ नज़र आए

इक दामन-ए-इस्मत की किरन दूर से फूटी

दामन पे कई गौहर-ए-ग़लताँ नज़र आए

थी जिस के तबस्सुम में मलाएक की हलावत

सद-हैफ़ कि वो ख़्वाब में गिर्यां नज़र आए

इस शहर को जो शख़्स के मौलिद का शरफ़ हो

वो शख़्स उसी शहर में मेहमाँ नज़र आए

लब पर है 'रईस' अपने ये मिस्रा कई दिन से

कल रात कई ख़्वाब परेशाँ नज़र आए

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In Hindi By Famous Poet Rais Amrohvi. is written by Rais Amrohvi. Complete Poem in Hindi by Rais Amrohvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.