सूखे Poetry (page 2)

शाफ़्फ़ाफ़ियाँ(2)

वहीद अहमद

हाथ पर हाथ रख के क्यूँ बैठूँ

विकास शर्मा राज़

एक तारीख़ मुक़र्रर पे तो हर माह मिले

उमैर नजमी

दिल ने फिर चाहा उजाले का समुंदर होना

तुफ़ैल चतुर्वेदी

जाने फिर उस के दिल में क्या बात आ गई थी

त्रिपुरारि

फेंक दे ख़ुश्क फूल यादों के

तौक़ीर तक़ी

लफ़्ज़ की क़ैद से रिहा हो जा

तौक़ीर तक़ी

पत्थरों पर नक़्श उभरा क्यूँ नहीं

तसव्वुर ज़ैदी

इंतिज़ार

तनवीर अंजुम

वही बे-लिबास क्यारियाँ कहीं बेल बूटों के बल नहीं

तफ़ज़ील अहमद

न मिरे पास इज़्ज़त-ए-रमज़ाँ

ताबाँ अब्दुल हई

ऐसा कहाँ हुबाब कोई चश्म-ए-तर कि हम

ताबाँ अब्दुल हई

जिस्म ओ जाँ सुलगते हैं बारिशों का मौसम है

सय्यदा नफ़ीस बानो शम्अ

ज़मीन-ए-इश्क़ पे ऐ अब्र-ए-ए'तिबार बरस

सय्यद तम्जीद हैदर तम्जीद

साँस का अपनी रग-ए-जाँ से गुज़र होने तक

सय्यद तम्जीद हैदर तम्जीद

क्यूँ मिल रही है उन को सज़ा चीख़ती रही

सय्यद अनवार अहमद

गंगा जी

सुरूर जहानाबादी

ख़्वाब देखता हूँ

सुरूर बाराबंकवी

वो आज मुझ से जब मिली तो धुँद छट गई

सुलतान सुबहानी

रात दिन शाम-ओ-सहर सब एक रंग

सुल्तान शाहिद

ज़ंग-आलूद ज़बाँ तक पहूँची होंटों की मिक़राज़

सुल्तान अख़्तर

हरा शजर न सही ख़ुश्क घास रहने दे

सुल्तान अख़्तर

कल रात मेरे साथ अजब हादिसा हुआ

सुलेमान ख़ुमार

सफ़र करो तो इक आलम दिखाई देता है

सुहैल अहमद ज़ैदी

अगरचे आँख बहुत शोख़ियों की ज़द में रही

सूफ़ी तबस्सुम

ये इंक़लाब भी ऐ दौर-ए-आसमाँ हो जाए

सिराज लखनवी

क़दम तो रख मंज़िल-ए-वफ़ा में बिसात खोई हुई मिलेगी

सिराज लखनवी

मिला-दिला सही इक ख़ुश्क हार बाक़ी है

सिराज लखनवी

मदद ऐ ख़याल-ए-माज़ी ज़रा आइना उठाना

सिराज लखनवी

अब इतनी अर्ज़ां नहीं बहारें वो आलम-ए-रंग-ओ-बू कहाँ है

सिराज लखनवी

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