शब्द Poetry (page 7)

इर्तिक़ा

सरवत ज़ेहरा

तलख़ीस के बदन में तफ़्सीर बोलती है

सरवर अरमान

लफ़्ज़ों के दरमियान

सरवत हुसैन

तेरे लिए ईजाद हुआ था लफ़्ज़ जो है रा'नाई का

सरताज आलम आबिदी

हाँ मेरी महबूबा

सरमद सहबाई

ये जो तालाब है दरिया था कभी

सरफ़राज़ ज़ाहिद

शहर भर के आईनों पर ख़ाक डाली जाएगी

सरफ़राज़ दानिश

ये लफ़्ज़ लफ़्ज़ शोला-बयानी उसी की है

सदार आसिफ़

न जाने कैसी आँधी चल रही है

सदार आसिफ़

शायद मिट्टी मुझे फिर पुकारे

सारा शगुफ़्ता

क़र्ज़

सारा शगुफ़्ता

कैसे टहलता है चाँद

सारा शगुफ़्ता

मुर्दा-ख़ाना

साक़ी फ़ारुक़ी

कुछ भी समझ न पाओगे मेरे बयान से

संजय मिश्रा शौक़

तिलिस्म-ए-लफ़्ज़-ओ-मआ'नी को तार तार करें

समद अंसारी

सीमिया

सलमान अंसारी

ग़ुबार-ए-फ़िक्र को तहरीर करता रहता हूँ

सलीम शुजाअ अंसारी

इक नए शहर-ए-ख़ुश-ए-आसार की बीमारी है

सालिम सलीम

दश्त की वीरानियों में ख़ेमा-ज़न होता हुआ

सालिम सलीम

यक़ीन है कि वो मेरी ज़बाँ समझता है

सलीम शहज़ाद

मिरी थकन मिरे क़स्द-ए-सफ़र से ज़ाहिर है

सलीम शाहिद

बे-वज़्अ शब-ओ-रोज़ की तस्वीर दिखा कर

सलीम शाहिद

तिरी निगाह की जब से मुआ'विनत न रही

सलीम सरफ़राज़

यहाँ वहाँ कुछ लफ़्ज़ हैं मेरे नज़्में ग़ज़लें तेरी हैं

सलीम मुहीउद्दीन

तिरी निगाह की जब से मुआवनत न रही

सलीम फ़राज़

इक एक लफ़्ज़ में कई पहलू कहाँ से आए

सलीम फ़राज़

फूलों की है तख़्लीक़ कि शो'लों से बना है

सलीम बेताब

न जाने शेर में किस दर्द का हवाला था

सलीम अहमद

जिन

सलीम अहमद

न जाने शेर में किस दर्द का हवाला था

सलीम अहमद

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