शब्द Poetry (page 8)

मेरी ग़ज़ल में एक नया सोज़-ए-जाँ भी है

सलीम अहमद

शाम

सज्जाद बाक़र रिज़वी

ज़हर इन के हैं मिरे देखे हुए भाले हुए

सज्जाद बाक़र रिज़वी

पूछो मुझे ऐ हम-नफ़साँ कौन हूँ क्या हूँ

सज्जाद बाक़र रिज़वी

दिल दश्त है वफ़ूर-ए-तमन्ना ग़ुबार है

सज्जाद बाक़र रिज़वी

हवा में कुछ तो घुला था कि होंट नीले हुए

सज्जाद बाबर

किश्त-ए-वीराँ की तरह तिश्ना रही रात मिरी

साजिदा ज़ैदी

पंक्चुवेशन

साइमा असमा

लहजे का रंग लफ़्ज़ की ख़ुश्बू भी देख ले

सैफ़ ज़ुल्फ़ी

नौ-ब-नौ एक उमडता हुआ तूफ़ान था मैं

साहिल अहमद

मुझ को हर लम्हा नई एक कहानी देगा

साहिबा शहरयार

अहबाब भी हैं ख़ूब कि तश्हीर कर गए

सहबा वहीद

कभी कभी

सहर अंसारी

पैमाना-ए-हाल हो गए हम

सहर अंसारी

पैमाना-ए-हाल हो गए हम

सहर अंसारी

हम ने आदाब-ए-ग़म का पास किया

सहर अंसारी

हाथ आ सका है सिलसिला-ए-जिस्म-ओ-जाँ कहाँ

सहर अंसारी

न जाने क्यूँ सदा होता है एक सा अंजाम

सग़ीर मलाल

तेरी नज़र का रंग बहारों ने ले लिया

साग़र सिद्दीक़ी

वो आज भी क़रीब से कुछ कह के हट गए

साग़र आज़मी

ऐसी नहीं है बात कि क़द अपने घट गए

साग़र आज़मी

उर्दू-ए-मुअ'ल्ला

सफ़ी लखनवी

शोरिश-ए-वक़्त हुई वक़्त की रफ़्तार में गुम

सईद अहमद

जब समाअत तिरी आवाज़ तलक जाती है

सईद अहमद

ख़ुद को जब ख़ुद से किसी रोज़ रिहाई दूँगी

सादिया सफ़दर सादी

उम्र भर लिखते रहे फिर भी वरक़ सादा रहा

साबिर ज़फ़र

दिन को मिस्मार हुए रात को तामीर हुए

साबिर ज़फ़र

इक शक्ल बे-इरादा सर-ए-बाम आ गई

साबिर वसीम

तुम्हारे आलम से मेरा आलम ज़रा अलग है

साबिर

मुस्तक़र की ख़्वाहिश में मुंतशिर से रहते हैं

साबिर

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