लहू Poetry (page 13)

रौशन सुकूत सब उसी शो'ला-बयाँ से है

सलीम शाहिद

मत पूछ कि इस पैकर-ए-ख़ुश-रंग में क्या है

सलीम शाहिद

ख़्वाहिश को अपने दर्द के अंदर समेट ले

सलीम शाहिद

जुरअत-ए-इज़हार का उक़्दा यहाँ कैसे खुले

सलीम शाहिद

बे-वज़्अ शब-ओ-रोज़ की तस्वीर दिखा कर

सलीम शाहिद

मुलाक़ातों का ऐसा सिलसिला रक्खा है तुम ने

सलीम कौसर

अभी हैरत ज़ियादा और उजाला कम रहेगा

सलीम कौसर

खो दिए हैं चाँद कितने इक सितारा माँग कर

सलीम फ़िगार

इक आग सी जलती रही ता-उम्र लहू में

सलीम अहमद

ये ख़्वाब और भी देखेंगे रात बाक़ी है

सलीम अहमद

मजबूरियों का पास भी कुछ था वफ़ा के साथ

सलीम अहमद

ख़ैर का तुझ को यक़ीं है और उस को शर का है

सलीम अहमद

कल नशात-ए-क़ुर्ब से मौसम बहार-अंदाज़ा था

सलीम अहमद

आँखों में सितारे से चमकते रहे ता-देर

सलीम अहमद

है तिश्ना-लबी लेकिन हम क्यूँ उसे ज़हमत दें

सलाम संदेलवी

पहली नज़्म

सलाहुद्दीन परवेज़

दो साँसों की गहराई में

सलाहुद्दीन महमूद

दुल्हन भी अगर बन के आएगी रात

सख़ी लख़नवी

ज़हर का सफ़र

सज्जाद बाक़र रिज़वी

सुब्ह

सज्जाद बाक़र रिज़वी

शाम

सज्जाद बाक़र रिज़वी

रात

सज्जाद बाक़र रिज़वी

दीवार क़हक़हा

सज्जाद बाक़र रिज़वी

इश्क़ तो सारी उम्र का इक पेशा निकला

सज्जाद बाक़र रिज़वी

दिल की बिसात पे शाह प्यादे कितनी बार उतारोगे

सज्जाद बाक़र रिज़वी

उधड़े हुए मल्बूस का परचम सा गया है

सज्जाद बाबर

कलियाँ नीला आसमान ज़ंजीर

साजिदा ज़ैदी

किश्त-ए-वीराँ की तरह तिश्ना रही रात मिरी

साजिदा ज़ैदी

मुंजमिद था लहू रग-ओ-पय में

साजिद हमीद

ज़मीं की आँख ख़ाली है दिनों ब'अद

साजिद हमीद

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