मौत Poetry (page 5)

नावक-ज़नी निगाह की ऐ जान-ए-जाँ है हेच

श्याम सुंदर लाल बर्क़

'शुजा' मौत से पहले ज़रूर जी लेना

शुजा ख़ावर

सभी ज़िंदगी पे फ़रेफ़्ता कोई मौत पर नहीं शेफ़्ता

शुजा ख़ावर

उस के आने पे भी नहीं आई

शुजा ख़ावर

इस ए'तिबार से बे-इंतिहा ज़रूरी है

शुजा ख़ावर

चलो ये तो हादसा हो गया कि वो साएबान नहीं रहा

शुजा ख़ावर

गिल भीक में लेते हैं जिस फूल से रानाई

शुजा

दिल की बिसात क्या थी जो सर्फ़-ए-फ़ुग़ाँ रहा

शोला अलीगढ़ी

बे-नश्शा बहक रहा हूँ कब से

शोहरत बुख़ारी

फिर मिरी आँख तिरी याद से भर आई है

शिव चरन दास गोयल ज़ब्त

वो रक़्स करने लगीं हवाएँ वो बदलियों का पयाम आया

शेवन बिजनौरी

उस को अपनी ज़ात ख़ुदा की ज़ात लगी है

शेर अफ़ज़ल जाफ़री

फूल शेरों की रवानी में चले तलवार भी

शेर अफ़ज़ल जाफ़री

मज़े जो मौत के आशिक़ बयाँ कभू करते

ज़ौक़

ये इक़ामत हमें पैग़ाम-ए-सफ़र देती है

ज़ौक़

नीमचा यार ने जिस वक़्त बग़ल में मारा

ज़ौक़

मज़ा था हम को जो लैला से दू-ब-दू करते

ज़ौक़

रोज़ ख़ूँ होते हैं दो-चार तिरे कूचे में

मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता

ज़मीं का क़र्ज़

शाज़ तमकनत

मौत का फ़रिश्ता

शौकत आबिदी

पलट के दौर-ए-ज़माँ सुब्ह-ओ-शाम पैदा कर

शातिर हकीमी

यही रस्सी मिली थी

शारिक़ कैफ़ी

मरने वाले से जलन

शारिक़ कैफ़ी

कुत्ते की मौत

शारिक़ कैफ़ी

कुतिया

शारिक़ कैफ़ी

छुट्टी का दिन

शारिक़ कैफ़ी

दिलों पर नक़्श होना चाहता हूँ

शारिक़ कैफ़ी

तलाश जिन की है वो दिन ज़रूर आएँगे

शरीफ़ कुंजाही

शोर थमने के बाद

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

उन का ख़याल हर तरफ़ उन का जमाल हर तरफ़

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

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