मौत Poetry (page 6)

लग़्ज़िश पा-ए-होश का हर्फ़-ए-जवाज़ ले के हम

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

दिन-भर की दौड़ रात के औहाम वसवसे

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

मुश्तइ'ल हो गया वो ग़ुंचा-दहन दानिस्ता

शम्स रम्ज़ी

जब तक तुझ को मौत न आए कर ले रैन-बसेरा बाबा

शम्स रम्ज़ी

ज़हर को मय दिल-ए-सद-पारा को मीना न कहो

शमीम करहानी

शम्अ' पर शम्अ' जलाती हुई साथ आती है

शमीम करहानी

न पूछ कब से ये दम घुट रहा है सीने में

शमीम जयपुरी

हमारे साथ जिसे मौत से हो प्यार चले

शमीम जयपुरी

ज़िंदगी हँसती है सुब्ह-ओ-शाम तेरे शहर में

शमीम फ़तेहपुरी

लदी है फूलों से फिर भी उदास लगती है

शकील शम्सी

ज़िंदगी और मौत का यूँ राब्ता रह जाएगा

शकील सरोश

जाँ के ज़ियाँ को ग़म की तलाफ़ी समझ लिया

शकील जाज़िब

ज़लज़ला

शकील बदायुनी

उन से उम्मीद-ए-रू-नुमाई है

शकील बदायुनी

लम्हा लम्हा बार है तेरे बग़ैर

शकील बदायुनी

मुबारक वो साअत

शकेब जलाली

दाइमी सुख

शाइस्ता मुफ़्ती

मौत मेरी सखी

शाइस्ता हबीब

तिरा दिल यार अगर माइल करे है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

गर भला मानस है तो ख़ंदों से तू मिल मिल न हँस

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

सोचिए गर उसे हर-नफ़स मौत है कुछ मुदावा भी हो बे-हिसी के लिए

शहज़ाद अंजुम बुरहानी

सोचिए गर उसे हर नफ़स मौत है कुछ मुदावा भी हो बे-हिसी के लिए

शहज़ाद अंजुम बुरहानी

दुनिया अपनी मौत जल्द-अज़-जल्द मर जाने को है

शहज़ाद अंजुम बुरहानी

दुनिया अपनी मौत जल्द-अज़-जल्द मर जाने को है

शहज़ाद अंजुम बुरहानी

मुझ को मिलना है 'वहीद-अख़्तर' से

शहरयार

इस सोच में ही मरहला-ए-शब गुज़र गया

शहराम सर्मदी

मैं आप अपनी मौत की तय्यारियों में हूँ

शाहिद ज़की

बिन माँगे मिल रहा हो तो ख़्वाहिश फ़ुज़ूल है

शाहिद ज़की

ज़ख़्म-ए-जिगर को दस्त-ए-जराहत से पूछिए

शाहिद कमाल

कभी ग़मी के नाम पर कभी ख़ुशी की आड़ में

शाहिद फ़रीद

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