स्वभाव Poetry (page 13)

जुस्तुजू ने तिरी हर चंद थका रक्खा है

अख़लाक़ बन्दवी

जुनून-ए-इश्क़ का जो कुछ हुआ अंजाम क्या कहिए

अख़गर मुशताक़ रहीमाबादी

इश्क़ नाज़ुक-मिज़ाज है बेहद

अकबर इलाहाबादी

साँस लेते हुए भी डरता हूँ

अकबर इलाहाबादी

कहाँ वो अब लुत्फ़-ए-बाहमी है मोहब्बतों में बहुत कमी है

अकबर इलाहाबादी

जब यास हुई तो आहों ने सीने से निकलना छोड़ दिया

अकबर इलाहाबादी

हाल-ए-दिल मैं सुना नहीं सकता

अकबर इलाहाबादी

ख़ुश-रंग किस क़दर ख़स-ओ-ख़ाशाक थे कभी

अकबर अली खान अर्शी जादह

हम अपने-आप में रहते हैं दम में दम जैसे

अजमल सिराज

न नज़र से कोई गुज़र सका न ही दिल से मलबा हटा सका

अजमल सिद्दीक़ी

वो जो फूल थे तिरी याद के तह-ए-दस्त-ए-ख़ार चले गए

अजय सहाब

मुझे ऐसा लुत्फ़ अता किया कि जो हिज्र था न विसाल था

ऐतबार साजिद

मिरी रूह में जो उतर सकें वो मोहब्बतें मुझे चाहिएँ

ऐतबार साजिद

कभी तू ने ख़ुद भी सोचा कि ये प्यास है तो क्यूँ है

ऐतबार साजिद

जाने किस चाह के किस प्यार के गुन गाते हो

ऐतबार साजिद

फिरा किसी का इलाही किसी से यार न हो

ऐश देहलवी

हमारी साँसें मिली हैं गिन के

अहसन यूसुफ़ ज़ई

अपनी ही आवाज़ के क़द के बराबर हो गया

अहमद तनवीर

तर्क-ए-दरयूज़ा

अहमद नदीम क़ासमी

खड़ा था कब से ज़मीं पीठ पर उठाए हुए

अहमद नदीम क़ासमी

क्यूँ शौक़ बढ़ गया रमज़ाँ में सिंगार का

अहमद हुसैन माइल

भली सी एक शक्ल थी

अहमद फ़राज़

जो ग़ैर थे वो इसी बात पर हमारे हुए

अहमद फ़राज़

फ़क़ीह-ए-शहर की मज्लिस से कुछ भला न हुआ

अहमद फ़राज़

उड़ कर सुराग़-ए-कूचा-ए-दिलबर लगाइए

आग़ा हज्जू शरफ़

जो सामना भी कभी यार-ए-ख़ूब-रू से हुआ

आग़ा हज्जू शरफ़

जवानी आई मुराद पर जब उमंग जाती रही बशर की

आग़ा हज्जू शरफ़

इश्क़-ए-दहन में गुज़री है क्या कुछ न पूछिए

आग़ा हज्जू शरफ़

तू मुझे तंग न कर ए दिल-ए-आवारा-मिज़ाज

अफ़ज़ल ख़ान

किसी निशाँ से अलामत से या सनद से न हो

आफ़ताब अहमद

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