स्वभाव Poetry (page 9)

न ग़ुरूर है ख़िरद को न जुनूँ में बाँकपन है

फ़रीद जावेद

न ग़ुरूर है ख़िरद को न जुनूँ में बाँकपन है

फ़रीद जावेद

लबों के सामने ख़ाली गिलास रखते हैं

फ़राग़ रोहवी

मैं ने 'फ़ानी' डूबती देखी है नब्ज़-ए-काएनात

फ़ानी बदायुनी

जब तक मिज़ाज-ए-दोस्त में कुछ बरहमी रही

फ़ैज़ुल हसन

जश्न का दिन

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

वो बुतों ने डाले हैं वसवसे कि दिलों से ख़ौफ़-ए-ख़ुदा गया

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

पूछ लेते वो बस मिज़ाज मिरा

फ़हमी बदायूनी

पूछ लेते वो बस मिज़ाज मिरा

फ़हमी बदायूनी

बदलते वक़्त ने बदले मिज़ाज भी कैसे

फ़हीम शनास काज़मी

शब-गर्दों के लिए इक नज़्म

फ़हीम शनास काज़मी

लहू की लहर में इक ख़्वाब-ए-दिल-शिकन भी गया

फ़हीम शनास काज़मी

सजन मुझ पर बहुत ना-मेहरबाँ है

फ़ाएज़ देहलवी

साए में आबलों की जलन और बढ़ गई

एजाज़ रहमानी

मिट गया ग़म तिरे तकल्लुम से

एजाज़ रहमानी

किए हैं मुझ पे जो एहसाँ जता नहीं सकता

एजाज़ अासिफ़

शुऊर-ए-नौ-उम्र हूँ न मुझ को मता-ए-रंज-ओ-मलाल देना

एहतिशामुल हक़ सिद्दीक़ी

आज उस ने हँस के यूँ पूछा मिज़ाज

एहसान दानिश

कुछ लोग जो सवार हैं काग़ज़ की नाव पर

एहसान दानिश

लंदन में जश्न-ए-ग़ालिब

दिलावर फ़िगार

कराची की बस

दिलावर फ़िगार

सारे नुक़ूश जिस पे तिरे आशियाँ के हैं

दिल अय्यूबी

जग में आ कर इधर उधर देखा

ख़्वाजा मीर 'दर्द'

साक़ी मुझे शबाब का रसिया कहे सो हूँ

दानिश नज़ीर दानी

कल तक तो आश्ना थे मगर आज ग़ैर हो

दाग़ देहलवी

दिल दे तो इस मिज़ाज का परवरदिगार दे

दाग़ देहलवी

ना-रवा कहिए ना-सज़ा कहिए

दाग़ देहलवी

मुमकिन नहीं कि तेरी मोहब्बत की बू न हो

दाग़ देहलवी

इस नहीं का कोई इलाज नहीं

दाग़ देहलवी

ग़म से कहीं नजात मिले चैन पाएँ हम

दाग़ देहलवी

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