स्वभाव Poetry (page 8)

मुझ को ग़रीब और क़रज़-दार देख कर

ग़ुलाम मोहम्मद वामिक़

कहफ़-उल-क़हत

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

राज़-ए-दिल दोस्त को सुना बैठे

ग़ुलाम मौला क़लक़

आए क्या तेरा तसव्वुर ध्यान में

ग़ुलाम मौला क़लक़

अजब इंक़लाब का दौर है कि हर एक सम्त फ़िशार है

ग़ुबार भट्टी

ख़ून-ए-दिल मुझ से तिरा रंग-ए-हिना माँगे है

ग़यास अंजुम

पी जिस क़दर मिले शब-ए-महताब में शराब

ग़ालिब

सर-गश्तगी में आलम-ए-हस्ती से यास है

ग़ालिब

बंदों का मिज़ाज हम ने देखा

गौहर होशियारपुरी

हिण्डोला

फ़िराक़ गोरखपुरी

रस्म-ओ-राह-ए-दहर क्या जोश-ए-मोहब्बत भी तो हो

फ़िराक़ गोरखपुरी

ग़म-ए-जानाँ से रंगीं और कोई ग़म नहीं होता

फ़िगार उन्नावी

मुझे उदास कर गए हो ख़ुश रहो

फ़ाज़िल जमीली

रूह और बदन दोनों दाग़ दाग़ हैं यारो

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

क्या बात थी कि उस को सँवरने नहीं दिया

फ़ातिमा वसीया जायसी

इक मुश्त-ए-पर हूँ मुझ को यक़ीनन सुकूँ नहीं

फ़ातिमा वसीया जायसी

देखिए हालात के जोगी का कब टूटे शराप

फ़सीह अकमल

सफ़-ए-मातम पे जो हम नाचने गाने लग जाएँ

फ़रताश सय्यद

मातम-ए-नीम-ए-शब

फ़ारूक़ नाज़की

ख़ुशी से फूलें न अहल-ए-सहरा अभी कहाँ से बहार आई

फ़ारूक़ बाँसपारी

महकते लफ़्ज़ों में शामिल है रंग-ओ-बू किस की

फ़ारूक़ बख़्शी

परिंदे खेत में अब तक पड़ाव डाले हैं

फ़ारूक़ अंजुम

जब भी मिला वो टूट के हम से मिला तो है

फ़ारूक़ अंजुम

कोई धड़कन कोई उलझन कोई बंधन माँगे

फ़रहत क़ादरी

नए मिज़ाज की तश्कील करना चाहते हैं

फ़रहत नदीम हुमायूँ

वहाँ मैं जाऊँ मगर कुछ मिरा भला भी तो हो

फ़रहत एहसास

तू ने देखा है कभी एक नज़र शाम के बा'द

फ़रहत अब्बास शाह

ख़याल आतिशीं ख़्वाबीदा सूरतें दी हैं

फ़रहत अब्बास

अब उस मक़ाम पे है मौसमों का सर्द मिज़ाज

फ़रहान सालिम

ये क्या हुआ कि सभी अब तो दाग़ जलने लगे

फ़रहान सालिम

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