प्यार Poetry (page 55)

करूँगा क्या जो मोहब्बत में हो गया नाकाम

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

हर बच्चा आँखें खोलते ही करता है सवाल मोहब्बत का

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

समीता-पाटिल

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

सोए हुए जज़्बों को जगाना ही नहीं था

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

सब रंग ना-तमाम हों हल्का लिबास हो

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

नज़र नज़र में अदा-ए-जमाल रखते थे

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

ख़ामोश थे तुम और बोलता था बस एक सितारा आँखों में

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

गुलाबों के नशेमन से मिरे महबूब के सर तक

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

बारूद के बदले हाथों में आ जाए किताब तो अच्छा हो

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

बन में वीराँ थी नज़र शहर में दिल रोता है

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

बग़ैर उस के अब आराम भी नहीं आता

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

अपने अशआर को रुस्वा सर-ए-बाज़ार करूँ

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

अकेला दिन है कोई और न तन्हा रात होती है

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

ज़ुलेख़ा बे-ख़िरद आवारा लैला बद-मज़ा शीरीं

ग़ुलाम मौला क़लक़

हो मोहब्बत की ख़बर कुछ तो ख़बर फिर क्यूँ हो

ग़ुलाम मौला क़लक़

बुत-ख़ाने की उल्फ़त है न काबे की मोहब्बत

ग़ुलाम मौला क़लक़

उन से कहा कि सिद्क़-ए-मोहब्बत मगर दरोग़

ग़ुलाम मौला क़लक़

रिश्ता-ए-रस्म-ए-मोहब्बत मत तोड़

ग़ुलाम मौला क़लक़

राज़-ए-दिल दोस्त को सुना बैठे

ग़ुलाम मौला क़लक़

कोई कैसा ही साबित हो तबीअ'त आ ही जाती है

ग़ुलाम मौला क़लक़

जो दिलबर की मोहब्बत दिल से बदले

ग़ुलाम मौला क़लक़

हर अदावत की इब्तिदा है इश्क़

ग़ुलाम मौला क़लक़

बे-गाना-अदाई है सितम जौर-ओ-सितम में

ग़ुलाम मौला क़लक़

आप के महरम असरार थे अग़्यार कि हम

ग़ुलाम मौला क़लक़

रास आती ही नहीं जब प्यार की शिद्दत मुझे

ग़ुलाम हुसैन साजिद

कभी मोहब्बत से बाज़ रहने का ध्यान आए तो सोचता हूँ

ग़ुलाम हुसैन साजिद

नुमूद पाते हैं मंज़रों की शिकस्त से फ़तह के बहाने

ग़ुलाम हुसैन साजिद

नशात-ए-फ़त्ह से तो दामन-ए-दिल भर नहीं पाए

ग़ुलाम हुसैन साजिद

कोई जब छीन लेता है मता-ए-सब्र मिट्टी से

ग़ुलाम हुसैन साजिद

कहीं मोहब्बत के आसमाँ पर विसाल का चाँद ढल रहा है

ग़ुलाम हुसैन साजिद

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