नाम Poetry (page 52)

न तुम मेरे न दिल मेरा न जान-ए-ना-तवाँ मेरी

फ़य्याज़ हाशमी

जब उन की बज़्म में हर ख़ास ओ आम रुस्वा है

फ़य्याज़ फ़ारुक़ी

राह में उस की चलें और इम्तिहाँ कोई न हो

फ़य्याज़ फ़ारुक़ी

वो जिस का नाम पड़ा है ख़मोश लोगों में

फ़व्वाद अहमद

उन निगाहों को हम-आवाज़ किया है मैं ने

फ़व्वाद अहमद

हवा ने छीन लिया आ के मेरे होंटों से

फ़व्वाद अहमद

हमारे दिल की बजा दी है उस ने ईंट से ईंट

फ़व्वाद अहमद

यूँ लगा देख के जैसे कोई अपना आया

फ़ातिमा वसीया जायसी

नहीं ख़याल तो फिर इंतिज़ार किस का है

फ़ातिमा वसीया जायसी

बादशाह-ए-वक़्त कोई और कोई मजबूर क्यूँ

फ़ातिमा वसीया जायसी

मेरी बेटी चलना सीख गई

फ़ातिमा हसन

आख़िरी लफ़्ज़

फ़ातिमा हसन

यादों के सब रंग उड़ा कर तन्हा हूँ

फ़ातिमा हसन

ख़्वाब गिरवी रख दिए आँखों का सौदा कर दिया

फ़ातिमा हसन

कहो तो नाम मैं दे दूँ इसे मोहब्बत का

फ़ातिमा हसन

उस की दीवार पे मनक़ूश है वो हर्फ़-ए-वफ़ा

फ़सीह अकमल

कुछ नया करने की ख़्वाहिश में पुराने हो गए

फ़सीह अकमल

इस तमाशे का सबब वर्ना कहाँ बाक़ी है

फ़रियाद आज़र

नख़्ल-ए-ममनूअा के रुख़ दोबारा गया मैं तो मारा गया

फ़रताश सय्यद

इश्क़ हूँ जुरअत-ए-इज़हार भी कर सकता हूँ

फ़रताश सय्यद

गो इस सफ़र में थक के बदन चूर हो गया

फ़र्रुख़ जाफ़री

उजड़े नगर में शाम कभी कर लिया करें

फ़ारूक़ शफ़क़

मुझ से क्या पूछते हो नाम पता

फ़ारूक़ नाज़की

तेज़ाब, आकार ख़ुश्बू का

फ़ारूक़ नाज़की

एक नज़्म जंगलों के नाम

फ़ारूक़ नाज़की

बचपन

फ़ारूक़ नाज़की

और मैं चुप रहा

फ़ारूक़ नाज़की

में इक गाँव का शाएर हूँ

फ़ारूक़ नाज़की

गहरी नीली शाम का मंज़र लिखना है

फ़ारूक़ नाज़की

सब्ज़ आग़ाज़ से सुर्ख़ अंजाम तक

फ़ारूक़ मुज़्तर

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