उजड़े नगर में शाम कभी कर लिया करें

उजड़े नगर में शाम कभी कर लिया करें

मुझ से दुआ सलाम कभी कर लिया करें

जंगल के फूल ही सही लेकिन हैं काम के

साथ उन के भी क़याम कभी कर लिया करें

हर राह साफ़ सीधी नहीं पुर-ख़तर भी है

सूरज छुपे तो शाम कभी कर लिया करें

मौसम है ख़ुश-गवार तो शाख़ें भी सर पे हैं

उन का भी एहतिराम कभी कर लिया करें

कटता है वक़्त कैसे किसी को गिराया जाए

कुछ काम का भी काम कभी कर लिया करें

शिरकत तमाम दावतों में लाज़मी नहीं

लेकिन कहीं तो नाम कभी कर लिया करें

ये सच है आगे पीछे 'शफ़क़' दोस्त ही तो हैं

तलवार बे-नियाम कभी कर लिया करें

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