मुझ से क्या पूछते हो नाम पता
मैं तो बस आप का ही साया हूँ
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गहरी नीली शाम का मंज़र लिखना है
आप की तस्वीर थी अख़बार में
इतनी ख़राब सूरत-ए-हालात भी नहीं
में इक गाँव का शाएर हूँ
एहसास
हिसार-ए-जिस्म से आगे निकल गया होता
तेज़ाब, आकार ख़ुश्बू का
एक परी आकाश से उतरी
नई बासी कोई ख़बर दे दे
सुना है लोग वहाँ मुझ से ख़ार खाते हैं
जब कोई नौजवान मरता है
पूरे क़द से मैं खड़ा हूँ सामने आएगा क्या