जब कोई नौजवान मरता है
आरज़ू का जहान मरता है
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मशवरा देने की कोशिश तो करो
वही में हूँ वही ख़ाली मकाँ है
सुनहरी दरवाज़े के बाहर
ये कैसी रुत आ गई जुनूँ की
मातम-ए-नीम-ए-शब
बचपन
मेरे चेहरे की स्याही का पता दे कोई
काँच के अल्फ़ाज़ काग़ज़ पर न रख
मौत
मुझ से क्या पूछते हो नाम पता
और मैं चुप रहा
में इक गाँव का शाएर हूँ