जुनूँ-आसार मौसम का पता कोई नहीं देगा
तुझे ऐ दश्त-ए-तन्हाई सदा कोई नहीं देगा
Gulzar
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एक परी आकाश से उतरी
और मैं चुप रहा
तेज़ाब, आकार ख़ुश्बू का
मेरे चेहरे की स्याही का पता दे कोई
पूरे क़द से मैं खड़ा हूँ सामने आएगा क्या
जब कोई नौजवान मरता है
सितारे बोती रहीं नींद से तही आँखें
अब फ़क़ीरी में कोई बात नहीं
मातम-ए-नीम-ए-शब
वही मैं हूँ वही ख़ाली मकाँ है
बस्ती से दूर जा के कोई रो रहा है क्यूँ
आप की तस्वीर थी अख़बार में