नज़र Poetry (page 5)

शब को फिरे वो रश्क-ए-माह ख़ाना-ब-ख़ाना कू-ब-कू

ताबाँ अब्दुल हई

दिल जल के रह गए ज़क़न-ए-रश्क-ए-माह पर

तअशशुक़ लखनवी

क्या देखता है हाल के मंज़र इधर भी देख

सय्यदा शान-ए-मेराज

मंज़िल मिले न कोई भी रस्ता दिखाई दे

सय्यदा नफ़ीस बानो शम्अ

ख़ुद से लिपट के रो लें बहुत मुस्कुरा लिए

सय्यदा नफ़ीस बानो शम्अ

ग़रीब-ख़ाना हमेशा से जेल-ख़ाना है

सय्यद ज़मीर जाफ़री

अपनी ख़बर नहीं है ब-जुज़ इस क़दर मुझे

सय्यद ज़मीर जाफ़री

अपनी ख़बर नहीं है ब-जुज़ ईं क़दर मुझे

सय्यद ज़मीर जाफ़री

जुम्बिश अबरू को है लेकिन नहीं आशिक़ पे निगाह

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

क़ाज़ी के मुँह पे मारी है बोतल शराब की

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

बर-सर-ए-लुत्फ़ आज चश्म-ए-दिल-रुबा थी मैं न था

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

आशिक़-ए-हक़ हैं हमीं शिकवा-ए-तक़दीर नहीं

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

सब्र-ओ-तस्लीम की सिपर भी नहीं

सय्यद सिद्दीक़ हसन

अक़ब से वार था आख़िर मैं आह क्या करता

सय्यद शकील दस्नवी

मेरी निगह में यार मैं उस की निगाह में

सय्यद नज़ीर हसन सख़ा देहलवी

नज़र पे बैठ गया जो ग़ुबार किस का था

सय्यद मुनीर

ब-हर-सूरत मोहब्बत का यही अंजाम देखा है

सय्यद मोहम्मद ज़फ़र अशक संभली

पुराना कोट

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

क्लर्क

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

उस पर निगाह फिरती रही और दूर दूर

सय्यद काशिफ़ रज़ा

तड़प भी है मिरी और बाइस-ए-सुकूँ भी है

सय्यद काशिफ़ रज़ा

दिखाई देती है जो शक्ल वो बनी ही न हो

सय्यद काशिफ़ रज़ा

शिकवे ज़बाँ पे आ सकें इस का सवाल ही न हो

सय्यद हामिद

क्यूँ सादगी से उस की तकरार हो गई है

सय्यद हामिद

हक़ किसी का अदा नहीं होता

सय्यद हामिद

छुट्टी का दिन है चाहिए जैसे गुज़ारिए

सय्यद फ़ज़लुल मतीन

न जाने रौज़न-ए-दीवार क्या जादू जगाता है

सय्यद अमीन अशरफ़

अजीब शय है तरह-दार भी तमन्ना भी

सय्यद अमीन अशरफ़

इज़्ज़त उसी की अहल-ए-नज़र की नज़र में है

सय्यद अमीर हसन मारहरवी दिलेर

वो दश्त-ए-तीरगी है कि कोई सदा न दे

सय्यद अहमद शमीम

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