तुलना Poetry (page 4)

होते होंगे इस दुनिया में अर्श के दा'वेदार बुलंद

इनाम हनफ़ी

चुनने न दिया एक मुझे लाख झड़े फूल

इमदाद अली बहर

तुम्हें भी चाहा, ज़माने से भी वफ़ा की थी

इफ़्तिख़ार मुग़ल

वो मेरे नाम की निस्बत से मो'तबर ठहरे

इफ़्तिख़ार आरिफ़

वो जिस के नाम की निस्बत से रौशनी था वजूद

इफ़्तिख़ार आरिफ़

अबू-तालिब के बेटे

इफ़्तिख़ार आरिफ़

ज़रा सी देर को आए थे ख़्वाब आँखों में

इफ़्तिख़ार आरिफ़

दयार-ए-नूर में तीरा-शबों का साथी हो

इफ़्तिख़ार आरिफ़

सब को दिल के दाग़ दिखाए एक तुझी को दिखा न सके

इब्न-ए-इंशा

दिल हिज्र के दर्द से बोझल है अब आन मिलो तो बेहतर हो

इब्न-ए-इंशा

उन के सब झूट मो'तबर ठहरे

हिना हैदर

अन-कही

हिमायत अली शाएर

रास आई न मुझे अंजुमन-आराई भी

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

हमारे शे'र का हासिल तअस्सुरात से है

हयात मदरासी

तिरे दर्द से जिस को निस्बत नहीं है

हसरत मोहानी

है मश्क़-ए-सुख़न जारी चक्की की मशक़्क़त भी

हसरत मोहानी

और तो पास मिरे हिज्र में क्या रक्खा है

हसरत मोहानी

काफ़िर-ए-इश्क़ हूँ ऐ शैख़ पे ज़िन्हार नहीं

हसरत अज़ीमाबादी

क़ासिद-ए-ख़ुश-फ़ाल लाया उस के आने की ख़बर

हसरत अज़ीमाबादी

क्या कहूँ तुझ से मिरी जान मैं शब का अहवाल

हसरत अज़ीमाबादी

कब तलक पीवेगा तू तर-दामनों से मिल के मुल

हसरत अज़ीमाबादी

इश्क़ में गुल के जो नालाँ बुलबुल-ए-ग़मनाक है

हसरत अज़ीमाबादी

इन दोनों घर का ख़ाना-ख़ुदा कौन ग़ैर है

हसरत अज़ीमाबादी

आश्ना कब हो है ये ज़िक्र दिल-ए-शाद के साथ

हसरत अज़ीमाबादी

दश्त में ख़ाक उड़ाते हैं दुआ करते हैं

हाशिम रज़ा जलालपुरी

आरज़ू थी कि तिरा दहर भी शोहरा होवे

हसन नईम

ये आरज़ू थी तुझे गुल के रू-ब-रू करते

हैदर अली आतिश

सूरत से इस की बेहतर सूरत नहीं है कोई

हैदर अली आतिश

कोई बतलाए कि ये तुर्फ़ा तमाशा क्यूँ है

हफ़ीज़ बनारसी

हज़ार ख़ाक के ज़र्रों में मिल गया हूँ मैं

हादी मछलीशहरी

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