वो मेरे नाम की निस्बत से मो'तबर ठहरे
गली गली मिरी रुस्वाइयों का साथी हो
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मुल्क-ए-सुख़न में दर्द की दौलत को क्या हुआ
सितारों से भरा ये आसमाँ कैसा लगेगा
कहानी में नए किरदार शामिल हो गए हैं
कुछ भी नहीं कहीं नहीं ख़्वाब के इख़्तियार में
रिंद मस्जिद में गए तो उँगलियाँ उठने लगीं
थकन तो अगले सफ़र के लिए बहाना था
सब लोग अपने अपने क़बीलों के साथ थे
अब भी तौहीन-ए-इताअत नहीं होगी हम से
मिट्टी की गवाही से बड़ी दिल की गवाही
इस बार भी दुनिया ने हदफ़ हम को बनाया
मिरा ज़ेहन मुझ को रहा करे
उमीद-ओ-बीम के मेहवर से हट के देखते हैं