मिट्टी की गवाही से बड़ी दिल की गवाही
यूँ हो तो ये ज़ंजीर ये ज़िंदाँ भी मिरा है
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Jaun Eliya
Anwar Masood
Allama Iqbal
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1005) Peoples Rate This
खज़ाना-ए-ज़र-ओ-गौहर पे ख़ाक डाल के रख
वो जिस के नाम की निस्बत से रौशनी था वजूद
सहरा में एक शाम
मैं उस से झूट भी बोलूँ तो मुझ से सच बोले
सर-ए-बाम-ए-हिज्र दिया बुझा तो ख़बर हुई
रविश में गर्दिश-ए-सय्यारगाँ से अच्छी है
कारोबार में अब के ख़सारा और तरह का है
हमें भी आफ़ियत-ए-जाँ का है ख़याल बहुत
कोई तो फूल खिलाए दुआ के लहजे में
समुंदरों को भी हैरत हुई कि डूबते वक़्त
सितारों से भरा ये आसमाँ कैसा लगेगा
बहुत मुश्किल ज़मानों में भी हम अहल-ए-मोहब्बत