समुंदरों को भी हैरत हुई कि डूबते वक़्त
किसी को हम ने मदद के लिए पुकारा नहीं
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Gulzar
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1179) Peoples Rate This
इंतिबाह
ये बस्तियाँ हैं कि मक़्तल दुआ किए जाएँ
शगुफ़्ता लफ़्ज़ लिक्खे जा रहे हैं
सितारों से भरा ये आसमाँ कैसा लगेगा
हम अपने रफ़्तगाँ को याद रखना चाहते हैं
बेटियाँ बाप की आँखों में छुपे ख़्वाब को पहचानती हैं
अब भी तौहीन-ए-इताअत नहीं होगी हम से
एक चराग़ और एक किताब और एक उम्मीद असासा
सौग़ात
कोई जुनूँ कोई सौदा न सर में रक्खा जाए
ख़्वाब-ए-देरीना से रुख़्सत का सबब पूछते हैं