कहानी में नए किरदार शामिल हो गए हैं
नहीं मा'लूम अब किस ढब तमाशा ख़त्म होगा
Wasi Shah
Gulzar
Rahat Indori
Habib Jalib
Anwar Masood
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
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Sad Poetry
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Sharabi Poetry
Friends Poetry
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ये मो'जिज़ा भी किसी की दुआ का लगता है
कहीं से कोई हर्फ़-ए-मो'तबर शायद न आए
एक था राजा छोटा सा
दिल कभी ख़्वाब के पीछे कभी दुनिया की तरफ़
चक-फेरी
हवाएँ अन-पढ़ हैं
बुलंद हाथों में ज़ंजीर डाल देते हैं
और हवा चुप रही
मिरा ज़ेहन मुझ को रहा करे
अजीब ही था मिरे दौर-ए-गुमरही का रफ़ीक़
ये बस्तियाँ हैं कि मक़्तल दुआ किए जाएँ
शिकस्ता-पर जुनूँ को आज़माएँगे नहीं क्या