कहाँ के नाम ओ नसब इल्म क्या फ़ज़ीलत क्या
जहान-ए-रिज़्क़ में तौक़ीर-ए-अहल-ए-हाजत क्या
Parveen Shakir
Gulzar
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Javed Akhtar
Anwar Masood
Habib Jalib
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1042) Peoples Rate This
निरवान
जो हर्फ़-ए-हक़ की हिमायत में हो वो गुम-नामी
एक हम ही तो नहीं हैं जो उठाते हैं सवाल
आख़िरी आदमी का रजज़
रविश में गर्दिश-ए-सय्यारगाँ से अच्छी है
कुछ भी नहीं कहीं नहीं ख़्वाब के इख़्तियार में
घर से निकले हुए बेटों का मुक़द्दर मालूम
बन-बास
ख़ौफ़ के सैल-ए-मुसलसल से निकाले मुझे कोई
सितारों से भरा ये आसमाँ कैसा लगेगा
एक शायर एक नज़्म
वही है ख़्वाब जिसे मिल के सब ने देखा था