पूर्व Poetry (page 10)

गुल का किया जो चाक गरेबाँ बहार ने

बेदम शाह वारसी

हिकमत का बुत-ख़ाना

बेबाक भोजपुरी

हक़-केश की फ़रियाद

बेबाक भोजपुरी

कौन कहता है नसीम-ए-सहरी आती है

बशीरुद्दीन अहमद देहलवी

इक परी के साथ मौजों पर टहलता रात को

बशीर बद्र

ज़ेर-ए-ज़मीं हूँ तिश्ना-ए-दीदार-ए-यार का

मिर्ज़ा रज़ा बर्क़

शम्अ भी इस सफ़ा से जलती है

मिर्ज़ा रज़ा बर्क़

पर्दा उलट के उस ने जो चेहरा दिखा दिया

मिर्ज़ा रज़ा बर्क़

लब-ए-रंगीं से अगर तू गुहर-अफ़शाँ होता

मिर्ज़ा रज़ा बर्क़

जो तुम और सुब्ह और गुलनार-ए-ख़ंदाँ हो के मिल बैठे

बक़ा उल्लाह 'बक़ा'

क्या फ़ाएदा है क़िस्सा-ए-रिज़वान से तुझे

बाक़र आगाह वेलोरी

रहता है ज़ुल्फ़-ए-यार मिरे मन से मन लगा

बाक़र आगाह वेलोरी

ग़मगीं नहीं हूँ दहर में तो शाद भी नहीं

बहराम जी

बनाया ऐ 'ज़फ़र' ख़ालिक़ ने कब इंसान से बेहतर

ज़फ़र

शमशीर-ए-बरहना माँग ग़ज़ब बालों की महक फिर वैसी ही

ज़फ़र

क्यूँकि हम दुनिया में आए कुछ सबब खुलता नहीं

ज़फ़र

काफ़िर तुझे अल्लाह ने सूरत तो परी दी

ज़फ़र

ऐ परी-ज़ाद तेरे जाने पर

बाबर रहमान शाह

मान लो साहिबो कहा मेरा

बाबर रहमान शाह

दिल ने हम से अजब ही काम लिया

बाबर रहमान शाह

वुसअत-ए-चश्म को अंदोह-ए-बसारत लिक्खा

अज़्म बहज़ाद

वुसअत-ए-चश्म को अंदोह-ए-बसारत लिख्खा

अज़्म बहज़ाद

अल्फ़-ए-लैला की आख़िरी सुब्ह

अज़ीज़ क़ैसी

शीशे खुले नहीं अभी साग़र चले नहीं

अज़ीज़ हैदराबादी

शोख़ी से कश्मकश नहीं अच्छी हिजाब की

अज़ीज़ हैदराबादी

आइना है ख़याल की हैरत

औरंगज़ेब

आ कर उरूज कैसे गिरा है ज़वाल पर

औरंगज़ेब

देव परी के क़िस्से सुन कर

अतीक़ इलाहाबादी

हम तो बिछड़ के रो लेते हैं

अतीक़ इलाहाबादी

सदियों से अजनबी

अासिफ़ शफ़ी

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