देव परी के क़िस्से सुन कर
भूके बच्चे सो लेते हैं
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Wasi Shah
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Rahat Indori
Allama Iqbal
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(698) Peoples Rate This
अगरचे लाई थी कल रात कुछ नजात हवा
जुदाई हद से बढ़ी तो विसाल हो ही गया
ज़ब्त की हद से हो के गुज़रना सो जाना
हम तो बिछड़ के रो लेते हैं
मैं ने पूछा ये बता मुझ से बिछड़ने का तुझे
नवाज़ता था हमेशा वो ग़म की दौलत से
होंटों पर इक बार सजा कर अपने होंट
घर हमारा फूँक कर कल इक पड़ोसी ऐ 'अतीक़'
चंद लम्हों को सही था साथ में रहना बहुत
'अतीक़' बुझता भी कैसे चराग़-ए-दिल मेरा