पता Poetry (page 15)

कैसे समझाऊँ नसीम-ए-सुब्ह तुझ को क्या हूँ मैं

अख़्तर सईद ख़ान

कहाँ जाएँ छोड़ के हम उसे कोई और उस के सिवा भी है

अख़तर मुस्लिमी

किसी का चेहरा किसी पर सजा नहीं देता

अख्तर लख़नवी

सुख़न दरमाँदा है

अख़्तर हुसैन जाफ़री

मिरी निगाह का पैग़ाम बे-सदा जो हुआ

अख़्तर होशियारपुरी

ये तिरे लम्स का एहसास जवाँ-तर हो जाए

अख़लाक़ अहमद आहन

वो हज़ार हम पे जफ़ा सही कोई शिकवा फिर भी रवा नहीं

अख़गर मुशताक़ रहीमाबादी

अब तुझे मेरा नाम याद नहीं

अकबर मासूम

नींद में गुनगुना रहा हूँ मैं

अकबर मासूम

फ़लसफ़ी को बहस के अंदर ख़ुदा मिलता नहीं

अकबर इलाहाबादी

ये ही हैं दिन, बाग़ी अगर बनना है बन

अजमल सिद्दीक़ी

मेरे साथ सु-ए-जुनून चल मिरे ज़ख़्म खा मिरा रक़्स कर

अजमल सिद्दीक़ी

न नज़र से कोई गुज़र सका न ही दिल से मलबा हटा सका

अजमल सिद्दीक़ी

इतना करम इतनी अता फिर हो न हो

अजमल सिद्दीक़ी

दोस्त जब दिल सा आश्ना ही नहीं

ऐश देहलवी

क्या पता किस जुर्म की किस को सज़ा देता हूँ मैं

अहमद ज़फ़र

मोहब्बतों को कहीं और पाल कर देखो

अहमद शनास

वो मर गया सदा-ए-नौहा-गर में कितनी देर है

अहमद शहरयार

नया साल

अहमद नदीम क़ासमी

मुदावा हब्स का होने लगा आहिस्ता आहिस्ता

अहमद नदीम क़ासमी

इक मोहब्बत के एवज़ अर्ज़-ओ-समा दे दूँगा

अहमद नदीम क़ासमी

ये वो मौसम है जिस में कोई पत्ता भी नहीं हिलता

अहमद मुश्ताक़

मुसलसल याद आती है चमक चश्म-ए-ग़ज़ालाँ की

अहमद मुश्ताक़

आँधी का रजज़

अहमद जावेद

अपने जैसे आशिक़ों के नाम

अहमद हमेश

वही दरिंदा

अहमद आज़ाद

शाइरी मैं ने ईजाद की

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद

जिन को हर हालत में ख़ुश और शादमाँ पाता हूँ मैं

अफ़सर मेरठी

उसी एक फ़र्द के वास्ते मिरे दिल में दर्द है किस लिए

अदीम हाशमी

किस हवाले से मुझे किस का पता याद आया

अदीम हाशमी

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