फूल Poetry (page 34)

मता-ए-बर्ग-ओ-समर वही है शबाहत-ए-रंग-ओ-बू वही है

ग़ुलाम हुसैन साजिद

कहीं मोहब्बत के आसमाँ पर विसाल का चाँद ढल रहा है

ग़ुलाम हुसैन साजिद

चराग़ की ओट में रुका है जो इक हयूला सा यासमीं का

ग़ुलाम हुसैन साजिद

अगर ये रंगीनी-ए-जहाँ का वजूद है अक्स-ए-आसमाँ से

ग़ुलाम हुसैन साजिद

मिरे पहलू से जो निकले वो मिरी जाँ हो कर

ग़ुलाम भीक नैरंग

रफ़्ता रफ़्ता आँखों को हैरानी दे कर जाएगा

ग़ज़नफ़र

छुपा है कर्ब-ए-मुसलसल हवा के लहजे में

ग़यास अंजुम

कैसा होगा देस पिया का कैसा पिया का गाँव रे

ग़ौस सीवानी

भीगी भीगी बरखा रुत के मंज़र गीले याद करो

ग़ौस सीवानी

वो आ के ख़्वाब में तस्कीन-ए-इज़्तिराब तो दे

ग़ालिब

फूलों में वही तो फूल ठहरा

गौहर होशियारपुरी

है जो भी जज़ा सज़ा अता हो

गौहर होशियारपुरी

साँसों की जल-तरंग पर नग़्मा-ए-इश्क़ गाए जा

गणेश बिहारी तर्ज़

सर-ए-सहरा-ए-दुनिया फूल यूँ ही तो नहीं खिलते

फ़ुज़ैल जाफ़री

रुख़ हवाओं के किसी सम्त हों मंज़र हैं वही

फ़ुज़ैल जाफ़री

तुझे किस तरह छुड़ाऊँ ख़लिश-ए-ग़म-ए-निहाँ से

फ़िज़ा जालंधरी

जुगनू

फ़िराक़ गोरखपुरी

आधी रात

फ़िराक़ गोरखपुरी

ग़म-ए-जानाँ से रंगीं और कोई ग़म नहीं होता

फ़िगार उन्नावी

शौक़ीन मिज़ाजों के रंगीन तबीअ'त के

फ़ाज़िल जमीली

गुलज़ार में एक फूल भी ख़ंदाँ तो नहीं है

फ़ाज़िल अंसारी

इधर भी देख ज़रा बे-क़रार हम भी हैं

फ़ज़ल हुसैन साबिर

वो मेल-जोल हुस्न ओ बसीरत में अब कहाँ

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

ज़मीन चीख़ रही है कि आसमान गिरा

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

उदास देख के वजह-ए-मलाल पूछेगा

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

अच्छा हुआ मैं वक़्त के मेहवर से कट गया

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

निकला जो चिलमनों से वो चेहरा आफ़्ताबी

फ़य्याज़ फ़ारुक़ी

उस की हर बात ने जादू सा किया था पहले

फ़े सीन एजाज़

ख़र्च जब हो गई जज़्बों की रक़म आप ही आप

फ़े सीन एजाज़

दिया जला के कोई चाँद पर रखा होगा

फ़े सीन एजाज़

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