रास्ता Poetry (page 7)

मोहब्बत से तरीक़-ए-दोस्ती से चाह से माँगो

वलीउल्लाह मुहिब

मिरे दिल में हिज्र के बाब हैं तुझे अब तलक वही नाज़ है

वलीउल्लाह मुहिब

काफ़िर हुए सनम हम दीं-दार तेरी ख़ातिर

वलीउल्लाह मुहिब

हमारी चाह साहब जानते हैं

वलीउल्लाह मुहिब

अश्क-बारी का मिरी आँखों ने ये बाँधा है झाड़

वलीउल्लाह मुहिब

वो क्या दिन थे जो क़ातिल-बिन दिल-ए-रंजूर रो देता

वली उज़लत

मिरे नज़'अ को मत उस से कहो हुआ सो हुआ

वली उज़लत

मौसम-ए-गुल में हैं दीवानों के बाज़ार कई

वली उज़लत

माह-ए-कामिल हो मुक़ाबिल यार के रू से चे-ख़ुश

वली उज़लत

कुफ़्र मोमिन है न करना दिलबराँ से इख़्तिलात

वली उज़लत

ख़ुनुक-जोशी न करते जूँ सबा गर ये बुताँ हम से

वली उज़लत

इश्क़ की राह में यूँ हद से गुज़र मत जाना

वाली आसी

इश्क़ की राह में यूँ हद से गुज़र मत जाना

वाली आसी

दिन भर ग़मों की धूप में चलना पड़ा मुझे

वाली आसी

मैं नाम-लेवा हूँ तेरा तू मो'तबर कर दे

वकील अख़्तर

किवाड़ बंद भी है और नीम-वा भी है

वकील अख़्तर

नादान होशियार बने जिन के रूप से

वाजिद सहरी

बेचते क्या हो मियाँ आन के बाज़ार के बीच

वाजिद अमीर

जा बैठते हो ग़ैरों में ग़ैरत नहीं आती

वाजिद अली शाह अख़्तर

वो काम मेरा नहीं जिस का नेक हो अंजाम

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

तीर-ए-नज़र ने ज़ुल्म को एहसाँ बना दिया

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

शौक़ ने इशरत का सामाँ कर दिया

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

क्या है कि आज चलते हो कतरा के राह से

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

किसी सूरत से उस महफ़िल में जा कर

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

जुदा करेंगे न हम दिल से हसरत-ए-दिल को

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

हुए हैं गुम जिस की जुस्तुजू में उसी की हम जुस्तुजू करेंगे

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

ज़िंदगी

वहीदुद्दीन सलीम

हुस्न की ज़बान से

वहीदुद्दीन सलीम

मुद्दत हुई है मदह-ए-हसीनाँ किए हुए

वहीदुद्दीन सलीम

मुद्दत हुई है मदह-ए-हसीनाँ किए हुए

वहीदुद्दीन सलीम

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