समुद्र Poetry (page 6)

शाम के साहिल पे सूरज का सफ़ीना आ लगा

शमीम हनफ़ी

नीले पीले सियाह सुर्ख़ सफ़ेद सब थे शामिल इसी तमाशे में

शमीम हनफ़ी

कभी सहरा में रहते हैं कभी पानी में रहते हैं

शमीम हनफ़ी

कौन सा शो'ला लपकता है ये महमिल के क़रीब

शमीम फ़तेहपुरी

डूबते सूरज का मंज़र वो सुहानी कश्तियाँ

शमीम फ़ारूक़ी

बे-नवा

शमीम अल्वी

कब शौक़ मिरा जज़्बे से बाहर न हुआ था

शाकिर ख़लीक़

तेरी नज़र के सामने ये दिल नहीं रहा

शकील शम्सी

दिल की कहानियों को नया मोड़ क्यूँ दिया

शकील शम्सी

ज़ौक़-ए-गुनाह ओ अज़्म-ए-पशेमाँ लिए हुए

शकील बदायुनी

ये ऐश-ओ-तरब के मतवाले बे-कार की बातें करते हैं

शकील बदायुनी

किसी को जब निगाहों के मुक़ाबिल देख लेता हूँ

शकील बदायुनी

करने दो अगर क़त्ताल-ए-जहाँ तलवार की बातें करते हैं

शकील बदायुनी

जज़्बात की रौ में बह गया हूँ

शकील बदायुनी

फ़रेब-ए-मोहब्बत से ग़ाफ़िल नहीं हूँ

शकील बदायुनी

अभी जज़्बा-ए-शौक़ कामिल नहीं है

शकील बदायुनी

राह में घर के इशारे भी नहीं निकलेंगे

शकील आज़मी

क्या चीज़ है ये सई-ए-पैहम क्या जज़्बा-ए-कामिल होता है

शकेब जलाली

ख़िरद फ़रेब-ए-नज़ारों की कोई बात करो

शकेब जलाली

ज़मीन नाव मिरी बादबाँ मिरे अफ़्लाक

शहज़ाद अहमद

उदास छोड़ गए कश्तियों को साहिल पर

शहज़ाद अहमद

ज़वाल की हद

शहरयार

नसीब-ए-चश्म में लिक्खा है गर पानी नहीं होना

शहराम सर्मदी

मान-सरोवर

शहनाज़ नबी

उसे जब भी देखा बहुत ध्यान से

शाहिदा तबस्सुम

हवाएँ चाँदनी में काँपती हैं

शाहिदा तबस्सुम

जब घर ही जुदा जुदा रहेगा

शाहिदा हसन

मीनारों से ऊपर निकला दीवारों से पार हुआ

शाहिद मीर

इक अज़ाब होता है रोज़ जी का खोना भी

शाहिद लतीफ़

हर्फ़-ए-कुन शह-ए-रग-ए-हू में गुम है

शाहिद कमाल

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