सदा Poetry (page 20)

चाँद की अव्वल किरन मंज़र-ब-मंज़र आएगी

राजेन्द्र मनचंदा बानी

अजीब तजरबा था भीड़ से गुज़रने का

राजेन्द्र मनचंदा बानी

लाज़िम है सोज़-ए-इश्क़ का शोला अयाँ न हो

रजब अली बेग सुरूर

क़स्र-ए-वीराँ

राजा मेहदी अली ख़ाँ

टूटी हुई दीवार की तक़दीर बना हूँ

राज नारायण राज़

बस इक ख़ता की मुसलसल सज़ा अभी तक है

रईस सिद्दीक़ी

हाथ हमारे सब से ऊँचे हाथों ही से गिला भी है

रईस फ़रोग़

तुम ऐ रईस! अब न अगर और मगर करो

रईस अमरोहवी

शिकवा करने से कोई शख़्स ख़फ़ा होता है

रईस अमरोहवी

कहीं से साज़-ए-शिकस्ता की फिर सदा आई

रईस अमरोहवी

अहरमन है न ख़ुदा है मिरा दिल

रईस अमरोहवी

निकलो हिसार-ए-ज़ात से तो कुछ सुझाई दे

रहमत क़रनी

शाम-ए-ग़म बीमार के दिल पर वो बन आई कि बस

राही शहाबी

दिल वाले हैं हम रस्म-ए-वफ़ा हम से मिली है

राही शहाबी

दिल वाले हैं हम रस्म-ए-वफ़ा हम से मिली है

राही शहाबी

आज बाम-ए-हर्फ़ पर इम्कान भर मैं भी तो हूँ

इरफ़ान सत्तार

थोड़ी सी दूर तेरी सदा ले गई हमें

इरफ़ान अहमद

ये इत्र बे-ज़ियाँ नहीं नसीम-ए-नौ-बहार की

इक़बाल सुहैल

अब दिल को हम ने बंदा-ए-जानाँ बना दिया

इक़बाल सुहैल

अजब सदा ये नुमाइश में कल सुनाई दी

इक़बाल साजिद

उस को नग़्मों में समेटूँ तो बुका जाने है

इक़बाल मतीन

जो ज़ख़्म जम्अ किए आँख-भर सुनाता हूँ

इक़बाल कौसर

साइल के लबों पर है दुआ और तरह की

इक़बाल कैफ़ी

मर्ग-ए-गुल से पेशतर

इक़बाल हैदर

नक़्श माज़ी के जो बाक़ी हैं मिटा मत देना

इक़बाल अज़ीम

कुछ ऐसे ज़ख़्म भी दर-पर्दा हम ने खाए हैं

इक़बाल अज़ीम

ऐ अहल-ए-वफ़ा दाद-ए-जफ़ा क्यूँ नहीं देते

इक़बाल अज़ीम

ख़िज़ाँ का क़र्ज़ तो इक इक दरख़्त पर है यहाँ

इक़बाल अशहर कुरेशी

हद्द-ए-निगाह शाम का मंज़र धुआँ धुआँ

इक़बाल अंजुम

टूटा फूटा सही एहसास-ए-अना है मुझ में

इंद्र सरूप श्रीवास्तवा

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