सामने Poetry (page 24)

वो पर्दे से निकल कर सामने जब बे-हिजाब आया

अनवर सहारनपुरी

कोई भी पेचीदगी हाएल नहीं अनवर-'सदीद'

अनवर सदीद

ज़ोर से आँधी चली तो बुझ गए सारे चराग़

अनवर सदीद

अहद-ए-हाज़िर इक मशीन और उस का कारिंदा हूँ मैं

अनवर सदीद

हर साँस में ख़ुद अपने न होने का गुमाँ था

अनवर साबरी

तमसील

अनवर नदीम

रुख़ से पर्दा उठा दे ज़रा साक़िया बस अभी रंग-ए-महफ़िल बदल जाएगा

अनवर मिर्ज़ापुरी

रात का क्या ज़िक्र है शाम-ओ-सहर आया नहीं

अनवर जमाल अनवर

पराया कौन है और कौन अपना सब भुला देंगे

अनवर जलालपुरी

यूसुफ़-ए-हुस्न का हुस्न आप ख़रीदार रहा

अनवर देहलवी

हिज्र में भी हम एक दूसरे के

अंजुम सलीमी

फ़रेब ग़म ही सही दिल ने आरज़ू कर ली

अंजुम आज़मी

मूसा नहीं कि ताब न लाऊँ मैं हुस्न की

अनीसा बेगम

ख़मोशी साज़ होती जा रही है

आनंद नारायण मुल्ला

जब कोई लेता है मेरे सामने नाम-ए-ग़ज़ल

अमजद नजमी

तू नहीं तेरा इस्तिआरा नहीं

अमजद इस्लाम अमजद

पर्दे में लाख फिर भी नुमूदार कौन है

अमजद इस्लाम अमजद

हुज़ूर-ए-यार में हर्फ़ इल्तिजा के रक्खे थे

अमजद इस्लाम अमजद

भीड़ में इक अजनबी का सामना अच्छा लगा

अमजद इस्लाम अमजद

ख़ाली सही बला से तसल्ली तो दिल को हो

अमीरुल्लाह तस्लीम

तअ'ल्लुक़ात के सारे दिए बुझे हुए थे

आमिर नज़र

न तो बे-करानी-ए-दिल रही न तो मद्द-ओ-जज़्र-ए-तलब रहा

अमीर हम्ज़ा साक़िब

जाने ये किस की बनाई हुई तस्वीरें हैं

अमीर क़ज़लबाश

हर गाम हादसा है ठहर जाइए जनाब

अमीर क़ज़लबाश

मिला कर ख़ाक में भी हाए शर्म उन की नहीं जाती

अमीर मीनाई

तुम और हम

अमीक़ हनफ़ी

ग़म-ए-उल्फ़त में डूबे थे उभरना भी ज़रूरी था

अम्बर जोशी

दिल की हर बात तिरी मुझ को बता देती है

अम्बर जोशी

असीर-ए-ख़्वाब नई जुस्तुजू के दर खोलें

अम्बरीन सलाहुद्दीन

जी चाहता है साने-ए-क़ुदरत पे हूँ निसार

अमानत लखनवी

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