मूसा नहीं कि ताब न लाऊँ मैं हुस्न की
बे-पर्दा सामने मिरे तू भी तो आ के देख
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Anwar Masood
Parveen Shakir
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(922) Peoples Rate This
बहाए शबनम ने अश्क पैहम नसीम भरती है सर्द आहें
ऐ दो-जहाँ के मालिक आ'ला है नाम तेरा
क्या बर्बाद जिन को वो तमन्नाएँ तुम्हारी थीं
उन से इज़हार-ए-मुद्दआ न किया
दयार-ए-इश्क़ में तन्हा रहा नहीं हरगिज़
मुसलमाँ ग़ौर कर क्यूँ आज तेरी
जो ज़ौक़-ए-नज़र हो तो तुर्की में आ कर
परवरदिगार दे मुझे ग़ैरत-शिआ'र आँख
वो ग़ुंचा हूँ जो बिन खिले मुरझाए चमन में
जाते ही उन के ज़ीस्त की सूरत बदल गई