उन से इज़हार-ए-मुद्दआ न किया
क्या किया मैं ने हाए क्या न किया
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Gulzar
Wasi Shah
Jaun Eliya
Habib Jalib
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(784) Peoples Rate This
जाते ही उन के ज़ीस्त की सूरत बदल गई
परवरदिगार दे मुझे ग़ैरत-शिआ'र आँख
वो ग़ुंचा हूँ जो बिन खिले मुरझाए चमन में
मूसा नहीं कि ताब न लाऊँ मैं हुस्न की
मुसलमाँ ग़ौर कर क्यूँ आज तेरी
बहाए शबनम ने अश्क पैहम नसीम भरती है सर्द आहें
ऐ दो-जहाँ के मालिक आ'ला है नाम तेरा
जो ज़ौक़-ए-नज़र हो तो तुर्की में आ कर
क्या बर्बाद जिन को वो तमन्नाएँ तुम्हारी थीं
दयार-ए-इश्क़ में तन्हा रहा नहीं हरगिज़