जाते ही उन के ज़ीस्त की सूरत बदल गई
अल्लाह इतनी देर में क़िस्मत बदल गई
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Rahat Indori
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Gulzar
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(708) Peoples Rate This
परवरदिगार दे मुझे ग़ैरत-शिआ'र आँख
मूसा नहीं कि ताब न लाऊँ मैं हुस्न की
मुसलमाँ ग़ौर कर क्यूँ आज तेरी
जो ज़ौक़-ए-नज़र हो तो तुर्की में आ कर
क्या बर्बाद जिन को वो तमन्नाएँ तुम्हारी थीं
बहाए शबनम ने अश्क पैहम नसीम भरती है सर्द आहें
उन से इज़हार-ए-मुद्दआ न किया
ऐ दो-जहाँ के मालिक आ'ला है नाम तेरा
वो ग़ुंचा हूँ जो बिन खिले मुरझाए चमन में
दयार-ए-इश्क़ में तन्हा रहा नहीं हरगिज़