सामने Poetry (page 25)

सब्ज़ है पैरहन चाँद का आज फिर

आलोक यादव

इक ज़रा सी चाह में जिस रोज़ बिक जाता हूँ मैं

आलोक यादव

तू शाहीं है परवाज़ है काम तेरा

अल्लामा इक़बाल

ये पीरान-ए-कलीसा-ओ-हरम ऐ वा-ए-मजबूरी

अल्लामा इक़बाल

सितारों से आगे जहाँ और भी हैं

अल्लामा इक़बाल

सदाओं के जंगल में वो ख़ामुशी है

अलीमुल्लाह हाली

ज़रा पर्दा हटा दो सामने से बिजलियाँ चमकें

अली ज़हीर लखनवी

ताज़ा मंज़र

अली ज़हीर लखनवी

ये क्या कि ख़ल्क़ को पूरा दिखाई देता हूँ

अली मुज़म्मिल

टूटम टूट गया

अली मोहम्मद फ़र्शी

नया मय-कदे में निज़ाम आ गया

अली जव्वाद ज़ैदी

सिवाए-दर-ब-दरी उस को ख़ाक मिलता है

आलमताब तिश्ना

राह-ए-फ़रार

अख़्तर-उल-ईमान

एक लड़का

अख़्तर-उल-ईमान

ये काएनात मिरे सामने है मिस्ल-ए-बिसात

अख़्तर उस्मान

अभी तो पर भी नहीं तौलता उड़ान को मैं

अख़्तर उस्मान

लरज़ उठा है मिरे दिल में क्यूँ न जाने दिया

अख्तर शुमार

ऐ दुनिया तेरे रस्ते से हट जाएँगे

अख्तर शुमार

रात भर उन का तसव्वुर दिल को तड़पाता रहा

अख़्तर शीरानी

माना कि सब के सामने मिलने से है हिजाब

अख़्तर शीरानी

वक़्त की क़द्र

अख़्तर शीरानी

नज़्र-ए-वतन

अख़्तर शीरानी

नन्हा क़ासिद

अख़्तर शीरानी

दावत

अख़्तर शीरानी

उन को बुलाएँ और वो न आएँ तो क्या करें

अख़्तर शीरानी

मोहब्बत की दुनिया में मशहूर कर दूँ

अख़्तर शीरानी

दिल-ए-दीवाना ओ अंदाज़-ए-बेबाकाना रखते हैं

अख़्तर शीरानी

अश्क-बारी न मिटी सीना-फ़िगारी न गई

अख़्तर शीरानी

आश्ना हो कर तग़ाफ़ुल आश्ना क्यूँ हो गए

अख़्तर शीरानी

यारान-ए-तेज़-गाम से रंजिश कहाँ है अब

अख़तर शाहजहाँपुरी

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