रात भर उन का तसव्वुर दिल को तड़पाता रहा
एक नक़्शा सामने आता रहा जाता रहा
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Wasi Shah
Gulzar
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Habib Jalib
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1007) Peoples Rate This
आओ बे-पर्दा तुम्हें जल्वा-ए-पिन्हाँ की क़सम
है क़यामत तिरे शबाब का रंग
उन को बुलाएँ और वो न आएँ तो क्या करें
चमन में रहने वालों से तो हम सहरा-नशीं अच्छे
दावत
ला पिला साक़ी शराब-ए-अर्ग़वानी फिर कहाँ
ज़िंदगी कितनी मसर्रत से गुज़रती या रब
दिल में लेता है चुटकियाँ कोई
ग़म अज़ीज़ों का हसीनों की जुदाई देखी
उम्र भर की तल्ख़ बेदारी का सामाँ हो गईं
बदनाम हो रहा हूँ
भुला बैठे हो हम को आज लेकिन ये समझ लेना