पलट सी गई है ज़माने की काया
नया साल आया नया साल आया
Gulzar
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(856) Peoples Rate This
किस को देखा है ये हुआ क्या है
उन को बुलाएँ और वो न आएँ तो क्या करें
काम आ सकीं न अपनी वफ़ाएँ तो क्या करें
बदनाम हो रहा हूँ
अब जी में है कि उन को भुला कर ही देख लें
ज़िंदगी कितनी मसर्रत से गुज़रती या रब
इक वो कि आरज़ुओं पे जीते हैं उम्र भर
यक़ीन-ए-वादा नहीं ताब-ए-इंतिज़ार नहीं
मुद्दतें हो गईं बिछड़े हुए तुम से लेकिन
मैं आरज़ू-ए-जाँ लिखूँ या जान-ए-आरज़ू!
एक शाएरा की शादी पर