दिल में लेता है चुटकियाँ कोई
हाए इस दर्द की दवा क्या है
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दावत
मुबारक मुबारक नया साल आया
किस की आँखों का लिए दिल पे असर जाते हैं
मय-ख़ाना-ब-दोश हैं घटाएँ साक़ी
कुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होता
दिल-ओ-दिमाग़ को रो लूँगा आह कर लूँगा
माना कि सब के सामने मिलने से है हिजाब
ज़मान-ए-हिज्र मिटे दौर-ए-वस्ल-ए-यार आए
किसी मग़रूर के आगे हमारा सर नहीं झुकता
वो कहते हैं रंजिश की बातें भुला दें
ऐ दिल वो आशिक़ी के फ़साने किधर गए
बजा कि है पास-ए-हश्र हम को करेंगे पास-ए-शबाब पहले