सामने Poetry (page 5)

खिलौने

वहीद अहमद

करना है कार-ए-ख़ैर तो फिर सर न देखना

विश्मा ख़ान विश्मा

मुझे ख़रीद रहे हैं मिरे सभी अपने

उमर फ़ारूक़

इश्क़ में हर तमन्ना-ए-क़ल्ब-ए-हज़ीं सुर्ख़ आँसू बहाए तो मैं क्या करूँ

तुर्फ़ा क़ुरैशी

लहु लहु आँखें

तारिक़ क़मर

वही आहटें दर-ओ-बाम पर वही रत-जगों के अज़ाब हैं

तारिक़ बट

पहले मौसम के बा'द

तनवीर अंजुम

बे-रहम शायरों के जुर्म

तनवीर अंजुम

माल-ओ-ज़र की क़द्र क्या? ख़ून-ए-जिगर के सामने

तालिब हुसैन तालिब

माल-ओ-ज़र की क़द्र क्या ख़ून-ए-जिगर के सामने

तालिब हुसैन तालिब

मिरे ख़याल का साया जहाँ पड़ा होगा

तख़्त सिंह

शुऊ'र-ए-तिश्नगी को आम कर दो

ताज भोपाली

मैं ने बख़्श दी तिरी क्यूँ ख़ता तुझे इल्म है

तैमूर हसन

हम दुनिया से जब तंग आया करते हैं

तैमूर हसन

मिरे लबों पे उसी आदमी की प्यास न हो

ताहिर फ़राज़

नफ़स की ज़द पे हर इक शोला-ए-तमन्ना है

ताबिश देहलवी

जोश पर थीं सिफ़त-ए-अब्र-ए-बहारी आँखें

तअशशुक़ लखनवी

वो जो मिलता था कभी मुझ से बहारों की तरह

सय्यदा नफ़ीस बानो शम्अ

निगाह ओ दिल में वही कर्बला का मंज़र था

सय्यदा नफ़ीस बानो शम्अ

जश्न बरबाद ख़यालों का मना लूँ तो चलूँ

सय्यद मुबीन अल्वी ख़ैराबादी

जब मैं रोया हूँ वो रोए हैं ये उल्फ़त मेरे साथ

सय्यद काज़िम अली शौकत बिलगिरामी

जो साँस साँस सही उस सज़ा का नाम न लो

सय्यद काशिफ़ रज़ा

ज़रा न हम पे किया ए'तिबार गुज़री है

सय्यद हामिद

लहू को दिल के जो सर्फ़-ए-बहार कर न सके

सय्यद हामिद

रऊनतों में न इतनी भी इंतिहा हो जाए

सय्यद अारिफ़

क्यूँ मिल रही है उन को सज़ा चीख़ती रही

सय्यद अनवार अहमद

था आईने के सामने चेहरा खुला हुआ

सय्यद अहमद शमीम

ऐ जुनूँ कुछ तो खुले आख़िर मैं किस मंज़िल में हूँ

सुरूर बाराबंकवी

नोक-ए-शमशीर की घात का सिलसिला यूँ पस-ए-आइना कल उतारा गया

सूरज नारायण

हर एक सम्त इशारे थे और रस्ता भी

सुनील आफ़ताब

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